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Satyarth Prakash Shodh Granth (Mahrshi Dayanand Saraswati) Vol 1-2 सत्यार्थ प्रकाश शोध ग्रंथ (महर्षि दयानंद सरस्वती) खंड 1-2

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Description

सत्यार्थप्रकाश का परिचय

सत्यार्थप्रकाश, जिसे आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखा गया, एक महत्वपूर्ण धार्मिक और दार्शनिक दस्तावेज़ है। यह पुस्तक 1875 में प्रकाशित हुई थी और इसका उद्देश्य भारतीय समाज में अंधविश्वास, अज्ञानता और अंधश्रद्धा के खिलाफ जागरूकता फैलाना था। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इस कार्य के माध्यम से, समाज के लोगों को सत्य, ज्ञान और चरित्र के महत्व से अवगत कराने का प्रयास किया।

सत्यार्थप्रकाश का महत्व इस तथ्य से भी बढ़ता है कि यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से भी समग्र रूप से समाज के विकास के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। इसमें विवेचित विचारों ने न केवल व्यक्तियों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित किया, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी स्थापित करने का जतन किया। स्वामी दयानंद ने इसके माध्यम से विभिन्न मजहबों और विश्वासों का सम्मान करते हुए उन सबका सारभूत ज्ञान प्रस्तुत किया।

इतिहासिक दृष्टिकोण से सत्यार्थप्रकाश को एक ऐसे समय में लिखा गया, जब भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन स्थापित था और साथ ही समाज में परंपरागत मान्यताएँ भी अपने चरम पर थीं। स्वामी दयानंद सरस्वती ने धर्म और विज्ञान के बीच तालमेल बिठाने का प्रयास किया, ताकि सभी वर्गों के लोग सही विचारों से प्रेरित होकर एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ सकें। इस प्रकार, सत्यार्थप्रकाश न केवल एक पुस्तक है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण सोच और दृष्टिकोण का प्रतीक है जिसने भारतीय समाज में प्रगति की नई राहें खोलीं।

विशिष्ट संस्करण का विवरण

सत्यार्थप्रकाश का विशिष्ट संस्करण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जिसमें कई संशोधन और सुधार किए गए हैं। इस संस्करण का निर्माण मूल हस्तलिखित प्रति के आधार पर हुआ है, जिसमें लेखक ने विचारों की स्पष्टता और संप्रेषणीयता को प्राथमिकता दी है। इसमें ऐसे कई परिवर्तन शामिल हैं जो पाठकों के लिए सामग्री को अधिक समझने योग्य बनाते हैं।

विशिष्ट संस्करण में किए गए संशोधनों में नई भूमिका और अद्यतन शीर्षक शामिल हैं, जो लेखक के विचारों को अधिक प्रकट करते हैं। हर अध्याय की शुरुआत में सारांश और प्रमुख बिंदुओं का अंश दिया गया है, जिससे पाठक को अनुक्रम में सामग्री का उचित अवलोकन करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, कुछ मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करके उनके महत्व को समझाया गया है, जो पाठकों के ज्ञानवर्धन का साधन है।

यह संस्करण समर्पण की भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसमें लेखक ने अपने विचारों को आत्मीयता और ईमानदारी से व्यक्त किया है। इसमें संग्रहित ज्ञान को सही संदर्भ में रखने का प्रयास किया गया है, ताकि आगामी पीढ़ियाँ भी इससे लाभान्वित हो सकें। इसलिए, इस विशेष संस्करण को एक शैक्षिक दस्तावेज़ के रूप में देखा जा सकता है जो न केवल विज्ञान और तर्क के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि मानवता के हित में भी कार्य करता है।

सत्यार्थप्रकाश का यह विशिष्ट संस्करण पाठकों को गहराई में जाकर विचार करने का अवसर प्रदान करता है। यह संशोधित रूप पाठक की जिज्ञासा को बढ़ाने के साथ-साथ अध्यात्म और सत्य की खोज में प्रेरित करता है। इसी प्रकार, यह कार्य अपने उद्देश्य में सफल है जो ज्ञान के प्रति मानवता के उत्कर्ष को दर्शाता है।

अनुसंधानकर्ताओं के लिए लाभ

सत्यार्थप्रकाश का विशिष्ट संस्करण शोधकर्ताओं के लिए एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण संसाधन प्रस्तुत करता है। यह संस्करण न केवल मूल पाठ पर आधारित है, बल्कि इसमें कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ और व्याख्याएँ भी शामिल हैं, जो विचारों की गहराई को बढ़ाती हैं। शोधकर्ता जब इस दस्तावेज़ का अध्ययन करते हैं, तो उन्हें इसके माध्यम से कठिन शब्दों के अर्थ और विचारों की सटीकता को समझने में सहायता मिलती है। इन टिप्पणियों के माध्यम से कठिनाई के स्तर को कम किया जा सकता है, जिससे पाठक को मूल सिद्धांतों को grasp करना आसान हो जाता है।

इस विशिष्ट संस्करण में उद्धरणों की तुलना भी की गई है, जिससे अभिव्यक्तियों और विचारों के विविध दृष्टिकोणों को उजागर करने में मदद मिलती है। विभिन्न उद्धरणों का अध्ययन करना शोधकर्ताओं को यह समझने में सहायता करता है कि विचारों का विकास कैसे हुआ और उनके अंतर्निहित सिद्धांतों को कैसे समझा जा सकता है। इस प्रकार, यह संस्करण न केवल एक दस्तावेज़ के रूप में औपनिवेशिक विचारों का संग्रह है, बल्कि आदान-प्रदान की प्रक्रिया में एक अनुभव की तरह कार्य करता है।

अतः, सत्यार्थप्रकाश का यह विशिष्ट संस्करण विशेष रूप से शोधकर्ताओं के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें विचारों के संग्रह और प्रतिक्रियाओं पर एक ठोस आधार प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, अन्य संसाधनों की दृष्टि से भी, इससे शोधकर्ताओं को पहले से ज्ञात सिद्धांतो की वैधता को परखने का अवसर मिलता है। यह संग्रह न केवल संदर्भ सामग्री है, बल्कि एक ऐसा उपकरण है जो विचारों को संयोजित करने और नए अनुसंधान दिशाओं की खोज में प्रेरित करने में सहायक है।

सामान्य पाठकों के लिए उपयोगिता

सत्यार्थप्रकाश का विशिष्ट संस्करण सामान्य पाठकों के लिए ज्ञानार्जन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस संस्करण का उद्देश्य पाठकों को ऐसे जटिल मुद्दों को सरलता से समझाने में मदद करना है, जो आमतौर पर विद्वानों तक ही सीमित रहते हैं। इसके लेखन की शैली उपयोगकर्ता-मित्रता को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई है, जिससे कोई भी बिना किसी पूर्व ज्ञान के तात्त्विक और अद्भुत विचारों को समग्रता में ग्रहण कर सके।

सरल भाषा और व्याख्या की दृष्टि से, इस संस्करण ने कई कठिन शब्दों का अर्थ स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है। पाठकों को ऐसे शब्दों में उलझने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि प्रत्येक अवधारणा को विस्तार से समझाया गया है। यह प्रक्रिया न केवल सामान्य पाठकों के लिए सहायक होती है, बल्कि उनके ज्ञान के विस्तार में भी योगदान करती है। आज के समय में, जब लोगों के पास ज्ञान की असीमित प्रवाह होती है, सत्यार्थप्रकाश का यह संस्करण एक उचित पथप्रदर्शक का कार्य करता है।

इसके अतिरिक्त, विद्वानों की टिप्पणियाँ भी इस संस्करण को और अधिक ज्ञानवर्धक बनाती हैं। ये टिप्पणियाँ न केवल मूल पाठ को संदर्भ देती हैं, बल्कि पाठक को सोचने और सोचने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करती हैं। विद्वानों के दृष्टिकोण से, पाठक सिद्धांतिक ज्ञान को एक व्यावहारिक संदर्भ में देख सकते हैं, जो व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, सामान्य पाठकों के लिए यह संस्करण ज्ञान के एक नए क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करता है, जहाँ वे स्वतंत्रता से सोच सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

संक्षेप और समापन

सत्यार्थप्रकाश का विशिष्ट संस्करण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जो न केवल अपने विचारों की मौलिकता के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि यह अपने विस्तृत विषय वस्तु के लिए भी जाना जाता है। इस संस्करण में अर्थ, तत्वज्ञान और प्रगतिशील समाज के निर्माण के लिए आवश्यक अवधारणाएँ प्रस्तुत की गई हैं। लेखक ने अपने विचारों को स्पष्टता के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक को उन्हें समझना और आत्मसात करना सरल हो जाता है। यह संस्करण एक ऐसा माध्यम है जो न केवल धार्मिक विचारधाराओं को चुनौती देता है, बल्कि समकालीन मुद्दों पर भी विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

इस दस्तावेज़ में विचारों की गहराई और तार्किक प्रवाह ने इसे एक अनूठा संदर्भ बना दिया है। सत्यार्थप्रकाश का विशिष्ट संस्करण दृष्टियों की विविधता को समाहित करता है, जिससे यह न केवल विद्वानों, बल्कि आम पाठकों के लिए भी आकर्षक बना रहता है। इसमें विचारों का आलंबन करते हुए, सामाजिक और धार्मिक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है, जो पाठकों को सोचने और प्रश्न करने के लिए प्रेरित करता है।

हम पाठकों को इस उत्कृष्ट संस्करण को पढ़ने की प्रेरणा देते हैं, क्योंकि यह न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि एक नई सोच के लिए भी खोलता है। इस संस्करण की उपलब्धता विभिन्न स्रोतों पर है, जहां से इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप महत्त्वपूर्ण विचारों के प्रति जागरूक होना चाहते हैं और अपने दृष्टिकोण को विस्तारित करना चाहते हैं, तो इसे अवश्य पढ़ें। यह संस्करण समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन सकता है।

Additional information

Weight 1600 g
Dimensions 23 × 15 × 10 cm

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