Jindage Ka Safhar Part 2
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Description
बलराज मधोक का परिचय
बलराज मधोक भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 25 फरवरी 1924 को जम्मू के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। मधोक के पिता एक सम्मानित शिक्षक थे, जिससे उन्हें शिक्षा और विचारधारा का महत्व समझने में मदद मिली। उनके पारिवारिक मूल्यों ने उन्हें सामाजिक न्याय और राष्ट्रवाद की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया।
बलराज मधोक का प्रारम्भिक जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जम्मू में प्राप्त की, इसके बाद उनकी उच्च शिक्षा दिल्ली में हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने आस-पास की घटनाओं और सामाजिक मुद्दों पर गहरी समझ विकसित की। उनकी शिक्षा के दौरान, मधोक ने विभिन्न छात्र संगठनों में भाग लिया, जिससे उनकी राजनीतिक सोच में निखार आया। यह उनके जीवन का वह दौर था, जिसने उन्हें संघ परिवार के सिद्धांतों के साथ जोड़ा।
राजनीति में उनके शुरुआती कदम भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में थे। बलराज मधोक ने 1951 में इस राजनीतिक दल में प्रवेश किया, जो उस समय के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया कदम था। इस दौरान, उन्होंने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की विचारधारा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। उनकी सोच ने पार्टी को एक उदारवादी दृष्टिकोण प्रदान किया, जो स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों पर आधारित था। उनका व्यक्तिगत जीवन और राजनीति में अनुभव उनके भविष्य की राजनीतिक यात्रा के लिए आधारभूत सिद्ध हुए।
स्वतंत्र भारत का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
स्वतंत्रता के बाद, भारत का राजनीतिक परिदृश्य एक महत्वपूर्ण मोड़ पर था। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सत्ता में अभूतपूर्व सफलता मिली। इस समय, कांग्रेस पार्टी ने देश के राजनीतिक और सामाजिक विकास को दिशा देने का कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में, कांग्रेस ने समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की नीति को अपनाया, जिसका उद्देश्य सभी जातियों और धर्मों के लोगों को एक सुर में लाना था। यद्यपि इसमें कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन जनतंत्र की नींव को मजबूती प्रदान करने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया।
इस समय की राजनीति में विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों और दलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारतीय जनसंघ, जिसका नेतृत्व बलराज मधोक ने किया, ने जनसंघ की विचारधारा को सामने लाया। ये विचारधाराएं लोकतांत्रिक तरीके से समाज में परिवर्तन लाने के लिए बाध्य कर रही थीं। जनसंघ ने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और धर्म के आधार पर राजनीतिक साक्षरता का विस्तार करते हुए अपनी विचारधारा को विकसित किया। इसके फलस्वरूप, भारतीय राजनीति में एक नए दृष्टिकोण का उदय हुआ, जिसमें विभिन्न विचारधाराओं के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग की भावना उत्पन्न हुई।
इस परिवर्तनशील राजनीतिक परिदृश्य में, बलराज मधोक जैसे नेताओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने धारणा बनाई कि भारत की राजनीति केवल कांग्रेस के इर्द-गिर्द नहीं घूमती, बल्कि अन्य वैकल्पिक विचार भी सामने आने चाहिए। इस प्रकार, स्वतंत्र भारत का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य न केवल कांग्रेस की प्राथमिकता का प्रतीक था, बल्कि विविधता और विवाद का भी समर्थन करता था, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।
बलराज मधोक की राजनीतिक विचारधारा
बलराज मधोक भारतीय राजनीति में एक प्रगतिशील चेहरा थे, जिनकी राजनीतिक विचारधारा ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छुआ। उनके विचारों का केंद्र बिंदु सांस्कृतिक राष्ट्रवाद था, जिसे उन्होंने सबसे पहले समाज के विभिन्न तत्वों और उनके पारंपरिक मूल्यों के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया। बलराज मधोक का मानना था कि भारतीय संस्कृति और इतिहास को समझकर ही एक समृद्ध और स्थायी राजनीति का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने भारतीय समाज में सांस्कृतिक पहचान को बल देने का प्रयास किया, जिसका उद्देश्य एक एकीकृत और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र की नींव रखना था। इस संदर्भ में, उनके सिद्धांतों ने भारतीय राजनीति में एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
मधोक की विचारधारा में समाजवादी सिद्धांतों का भी समावेश था। उन्हें यह विश्वास था कि केवल सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के माध्यम से समाज की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि और उद्योग के विकास के लिए समान अवसरों की वकालत की, ताकि आर्थिक विषमताएं समाप्त हो सकें। उनके विचारों ने उन समय के प्रमुख नेताओं और राजनीतिक धारणाओं को चुनौती दी और नए विचारों को जन्म दिया। बलराज मधोक का विचार था कि समाजवाद केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि एक समग्र दृश्य को अपनाने का विकल्प है, जिसमें सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
उनके राजनीतिक दृष्टिकोण ने आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित किया। उनका कार्य और विचार आज भी महत्व रखते हैं और उन्हें भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हस्ती के रूप में मान्यता प्राप्त है। बलराज मधोक की विचारधारा ने उन्हें न केवल अपने समकालीनों में बल्कि राजनीतिक विचारधारा के विकास में एक अचेतन प्रेरक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
संक्रमण काल में बलराज मधोक की भूमिका
भारत के स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में राजनीतिक प्रवृत्तियाँ व्यापक परिवर्तन की ओर अग्रसर हुईं। इस संक्रमण काल में बलराज मधोक का नाम एक महत्वपूर्ण राजनैतिक हस्ताक्षर के रूप में उभरा। वे एक ऐसे नेतागण में से थे, जिन्होंने न केवल राजनीति में अपने विचार प्रस्तुत किए बल्कि अपने विचारों को कार्यान्वित करने के लिए भी तत्परता दिखाई। उनके विचारों में राष्ट्रवाद का एक स्पष्ट स्वर था, जो उस समय के सांप्रदायिकता के संकट को ध्यान में रखते हुए ध्यान आकर्षित करता है।
मधोक ने भारतीय जनसंघ के एक प्रमुख नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने सांप्रदायिकता के खिलाफ आवाज उठाने के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच सहयोग और विरोध के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की। उनकी सक्रियता ने न केवल भारतीय जनसंघ के विचारों को फैलाने में मदद की, बल्कि इससे राजनीतिक वातावरण में उनके योगदान को भी रेखांकित किया। वे ऐसे समय में एक ध्रुवीकरण की पहचान बन गए, जब भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखना आवश्यक था।
उनकी विचारधारा में कड़े राष्ट्रीयता का समर्थन करने के साथ ही साथ विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रियाएं भी गौर करने योग्य थीं। वे हमेशा यह मानते थे कि भारतीय राजनीति में केवल आर्थिक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसी दृष्टिकोण ने उनके कार्यों को और अधिक प्रभावशाली बनाया। यह कहना गलत नहीं होगा कि बलराज मधोक का योगदान स्वतंत्र भारत की राजनीति के संक्रमण काल में केंद्रीय था, जिससे आगे जाकर भारतीय राजनीति की धारा को दिशा मिली।
कुलपति और धरोहर
बलराज मधोक भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं, जिनकी राजनीतिक धरोहर आज भी प्रभावित कर रही है। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से थे और उनके विचारों ने भारतीय राजनीति के कई मोड़ पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मधोक का दृष्टिकोण केवल उस समय की राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके सिद्धांतों और नीतियों ने भारतीय राजनीति के दीर्घकालिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डाला। उनका विचार था कि राष्ट्र को एकजुट रखने के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर एकता के विचार को प्रमुखता देनी चाहिए।
बलराज मधोक की नीतियों ने परंपरागत राजनीतिक अवधारणाओं को चुनौती दी, जिससे नई विचारधाराओं को जन्म मिला। उनकी धारणा थी कि केवल राजनीति ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी समान महत्व देना चाहिए। यह दृष्टिकोण आज की राजनीति में अत्यधिक प्रासंगिक है, जहां विभिन्न विचारधाराएँ और सामाजिक मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं। भारतीय राजनीति में उनके कार्यों के माध्यम से अन्य नेताओं को भी प्रेरणा मिली, जो आगे चलकर अपने-अपने तरीकों से मधोक की संरचनाओं को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस संदर्भ में, आज कई संगठन और संस्थाएँ हैं जो बलराज मधोक की विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। उनकी शिक्षाओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए कार्यक्रम और अभियान चलाए जा रहे हैं। इन पहलों की मदद से मधोक की विचारधारा और दृष्टिकोण को समझने में सहायता मिलती है। परिणामस्वरूप, उनकी सोच को आधुनिक शिल्प में लाने की कोशिशें राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में अनिवार्य हो चुकी हैं। अंततः, बलराज मधोक की राजनीतिक धरोहर और उनके योगदान भारतीय राजनीति के पाठ में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जो भविष्य में भी उतना ही महत्वपूर्ण रहेगा।
Additional information
Weight | 400 g |
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Dimensions | 21 × 30 × 2 cm |
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