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Yajurveda Subhasitavali

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Description

यजुर्वेद का परिचय और महत्व

यजुर्वेद, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण वेद है, जिसे प्राचीन ज्ञान के एक अद्वितीय स्त्रोत के रूप में देखा जाता है। यह वेद धार्मिक अनुष्ठानों और यज्ञों का मार्गदर्शक रहा है और इसकी संरचना में मंत्रों, श्लोकों, और तात्त्विक शिक्षाओं का मिलाजुला रूप शामिल है। यजुर्वेद के श्लोक, न केवल भक्ति और अनुष्ठान के लिए, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिकता के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह वेद हमें यह सिखाता है कि जीवन में आध्यात्मिकता के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता होती है।

यजुर्वेद की चार मुख्य शाखाएँ हैं, जिनमें शुक्ल यजुर्वेद और कृत्य यजुर्वेद प्रमुख हैं। ये दोनों शाखाएँ यज्ञों और धार्मिक क्रियाओं को संपन्न करने हेतु आवश्यक मंत्रों और प्रक्रियाओं का वर्णन करती हैं। यजुर्वेद में शामिल श्लोक, वैज्ञानिक और तात्त्विक दृष्टियों का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो समाज और मानवता के कल्याण के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इसके माध्यम से साधक को आत्मा, ब्रह्म, और जीव के संबंध को समझने का अवसर मिलता है।

यज्ञों में यजुर्वेद का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह विशेष प्रकार के अनुष्ठानों का संचालन करता है, जो आज भी धार्मिक क्रियाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। यजुर्वेद के सिद्धांतों की व्यावहारिकता को समझना और इसके शिक्षाओं को लोगों के जीवन में अपनाना आवश्यक है। यजुर्वेद हम सभी को संयम, सदाचार, और सद्विचार की शिक्षा देता है, जिससे समाज में सद्भाव और शांति का माहौल बना रहता है। इस प्रकार, यजुर्वेद केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक सार्थक मार्गदर्शक है।

डॉ. कपिल देव द्विवेदी और शुभासितावली

डॉ. कपिल देव द्विवेदी भारतीय वेदों, विशेषकर यजुर्वेद, के प्रति अपने गहरे ज्ञान और समर्पण के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं। उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें इस प्राचीन ग्रंथ के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन पर शोध करने की प्रेरणा दी है। डॉ. द्विवेदी का जीवन साहित्यिक और शैक्षणिक कार्यों से भरा हुआ है, जिसमें यजुर्वेद की शुभासितावली के तत्वों की गहन व्याख्या शामिल है। उन्होंने न केवल विद्या के क्षेत्र में निवेशित समय से प्रगति की है, बल्कि समाज में भी यजुर्वेद की गूढ़ता को सरल रूप में प्रस्तुत किया है। उनके विचार और अनुसंधान ने प्राचीन ग्रंथों को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बना दिया है।

डॉ. द्विवेदी ने कई कार्यों के माध्यम से यजुर्वेद शुभासितावली के विभिन्न तत्वों को परिभाषित किया है, जिनमें पूजा, यज्ञ और आचार-विचार शामिल हैं। उनका शोध केवल अकादमिक सीमाओं के भीतर नहीं रुकता, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में भी यथार्थ रूप में दृष्टिगत होता है। उन्होंने इस ग्रंथ के माध्यम से योग, साधना और जीवन के सही उद्देश्य पर अपने विचार साझा किए हैं। उनकी शैली सरल और स्पष्ट है, जिससे पाठक वेदों के गूढ़ अर्थ को समझ पाएँ।

उनके योगदान से यजुर्वेद शुभासितावली को एक नई दृष्टि प्राप्त हुई है। वे न केवल यजुर्वेद की सिद्धांतों का गहन अध्ययन करने वाले व्यक्ति हैं, बल्कि उन्होंने इसे समाज के लिए महत्वपूर्ण बना दिया है। डॉ. कपिल देव द्विवेदी का कार्य अनुसंधान, लेखन और शिक्षण के साथ-साथ यजुर्वेद के प्रति एक नई जागरूकता को जन्म देने में सहायक रहा है, जो भविष्य में भी इस क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों हेतु प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

Additional information

Weight 200 g
Dimensions 18 × 12 × 1 cm

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