Anasakti Yog Moksha Ki Pagdandi
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Description
पंडित जगन्नाथ पाठक का जीवन और उनके विचार
पंडित जगन्नाथ पाठक का जीवन एक प्रेरणा है, जो साधना और ज्ञान की पगडंडी पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपने बचपन से ही समाधि और योग के प्रति गहरी आस्था रखी। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान, उन्हें भारतीय शास्त्रों और वेदों की पढ़ाई का विशेष अवसर मिला। उनकी इस शिक्षा ने जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानने की जिज्ञासा को और भी बढ़ाया।
साधना के प्रति उनकी लगन ने उन्हें कई बड़े गुरुओं से जुड़े रहने और योग की सच्चाइयों को गहराई से जानने का अवसर दिया। वे नियमित रूप से आसनों, प्राणायाम, और ध्यान में लीन रहते थे, जिससे उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त हुआ। पंडित पाठक के अनुसार, योग केवल शारीरिक क्रियाएँ नहीं हैं; यह मन और आत्मा के बीच एक संबंध स्थापित करने का साधन है, जो मोक्ष की पगडंडी की ओर ले जाता है।
उनके द्वारा रचित कई ग्रंथ व लेख इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अपनी साधना और ज्ञान को न केवल संग्रहित किया, बल्कि उसे दूसरों के साथ साझा भी किया। पाठक जी के विचारों में मोक्ष का महत्व अत्यधिक है। वे मानते थे कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अपने अंतर्मन की पहचान करनी होगी। उनका सबसे प्रसिद्ध शास्त्र ‘योग और मोक्ष’ इस विषय पर उनके गहन ज्ञान को उजागर करता है। पाठक का उपदेश है कि जिस तरह नदियाँ मिलकर महासागर में विलीन होती हैं, उसी प्रकार मानव का अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति होनी चाहिए।
अनासक्ति योग और मोक्ष की पगडंडी
अनासक्ति योग की अवधारणा भारतीय दर्शन में गहराई से निहित है, जो आत्मा और ब्रह्म का संबंध स्पष्ट करती है। इस योग का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और ब्रह्म के साथ एकता की प्राप्ति है, जो मोक्ष का अंतिम लक्ष्य है। पंडित जगन्नाथ पाठक के अनुसार, आना सकती योग एक जीवित प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से व्यक्ति आत्मिक स्तर पर विकसित होकर अपने सत्य स्वरूप को पहचानता है। यह मार्ग साधनाक्रम को अपनाने पर आधारित है, जिसमें व्यक्तिगत, मानसिक और आध्यात्मिक साधना शामिल है।
योग के विभिन्न चरणों को समझना आवश्यक है, क्योंकि इनमें ध्यान, प्राणायाम, असन, और नियमित साधना का महत्व है। हर चरण का अपना विशिष्ट योगदान है जो आना सकती योग के अभ्यास में आवश्यक है। ध्यान के माध्यम से, साधक मन के चंचलता को नियंत्रित कर सकता है, जबकि प्राणायाम से जीवन ऊर्जा का संचय होता है। यह ऊर्जा साधक को गहन ध्यान की स्थिति में ले जाने में सहायक होती है, जिससे आत्मा की शुद्धि एवं ब्रह्मा के निकटता संभव होती है।
पंडित पाठक के शिक्षाओं से व्यक्तियों को यह ज्ञात होता है कि साधना केवल शारीरिक रूप में नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप में भी आवश्यक है। ध्यान और साधना के विभिन्न प्रकारों का अभ्यास करने से व्यक्ति अपनी आत्मा का शोधन कर सकता है, जिससे मोक्ष की दिशा में अग्रसर होना संभव है। योग की इस गहन प्रक्रिया में आत्मा की विशुद्धता और ब्रह्मा से एकता की अनुभूति होती है, जो अंततः मोक्ष की ओर ले जाती है। इस प्रकार, आना सकती योग की पगडंडी एक किस्म का मार्गदर्शन प्रस्तुत करती है, जो आत्मा और ब्रह्मा के बीच के संबंध को मजबूत करने का कार्य करती है।
Additional information
Weight | 700 g |
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Dimensions | 24 × 18.5 × 3 cm |
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