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वर्णोच्चारण शिक्षा | Varnocharana Shiksha | Guide to Correct Sanskrit Pronunciation

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संस्कृत भाषा के शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण से ही वेद-मंत्रों तथा शास्त्रीय वाङ्मय का वास्तविक प्रभाव प्रकट होता है। इस पुस्तक में वर्ण, स्वर, व्यंजन, संयुक्ताक्षर तथा मात्रा आदि का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए सरल अभ्यास पद्धति प्रस्तुत की गई है। भाषा-अध्ययन में ध्वनि-शास्त्र का महत्व समझाते हुए यह ग्रंथ छात्रों, शिक्षकों तथा वेद-पाठकों के लिये अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।                                                                                                                                                                 The true essence and spiritual power of Vedic mantras and classical Sanskrit literature can only be realized through precise and clear pronunciation. This book provides a systematic and practical approach to learning vowels, consonants, conjunct letters, and phonetic rules with a scientific foundation. It serves as an essential reference for students, teachers, and Vedic chanters to master accurate Sanskrit articulation.

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Description

आजकल देवनागरी वर्णों के उच्चारण में बहुधा जो-जो गड़बड़ हुई है, उस-उस को छोड़कर यथायोग्य वर्णों का उच्चारण मनुष्य करें। जैसे ‘ज्ञा’ इसमें ज्+ञ्+आ ये तीन अक्षर मिले हैं। इनका उच्चारण भी जकार, ञकार और आकार ही का होना चाहिये। किन्तु ऐसा न हो कि जैसे दाक्षिणात्य लोग, अर्थात् द्राविड़, तैलङ्ग, कारणाटक और महाराष्ट्र नान; गुजराती लोग ग्यान; और पञ्च गौड़ न्यान ऐसा अशुद्ध उच्चारण अन्ध-परम्परा से वेदादिशास्त्रों के पाठ में भी करते हैं। ऐसे ही पञ्च गौड़ प्रायः ष के स्थान में स का, और कोई-कोई ख का, और य के स्थान में ज का उच्चारण करते हैं। वैसे ही बङ्गाली लोग ष और स के स्थान में भी श का उच्चारण किया करते हैं। यह अन्ध-परम्परा नष्ट होकर शुद्धोच्चारण की परम्परा होनी योग्य है।

और जैसे पाणिनिकृत शिक्षा में तिरसठ अक्षर वर्णमाला में माने हैं, उनकी गणना पूरी करने के लिये कई लोगों ने (कुं खुंगुं घुं) इन चार को यम मानकर तिरसठ अक्षर पूरे किये हैं। भला यहाँ विचारना चाहिये कि जब पूर्वोक्त यम हैं तो (चुंछें जुंझुंटुंटुं) इत्यादि यम क्यों न हों? और जो कोई कहे कि (पलिक्क्नी, चख्ख्नतुः, जग्मिः, जघ्घ्नुः) इत्यादि में (क् ख् ग् घ्) ये वर्ण यम कहाते, और प्रातिशाख्य में भी प्रसिद्ध हैं,

Additional information

Weight 50 g
Dimensions 18 × 12 × 1 cm

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