अष्टाध्यायी-प्रवेश | Ashtadhyayi-Pravesh
Original price was: ₹160.00.₹150.00Current price is: ₹150.00.
यह ग्रंथ संस्कृत-व्याकरण के विश्वविख्यात ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ का एक सरल एवं सुव्यवस्थित प्रवेश-ग्रंथ है।
आद्य व्याकरणाचार्य पाणिनि के सूत्रों की अवधारणाओं को मूल सिद्धान्तों, क्रमबद्ध संरचना तथा उदाहरणों सहित सहज शैली में प्रस्तुत किया गया है।
प्रारम्भिक विद्यार्थियों, अध्येताओं तथा शिक्षक-प्रशिक्षकों के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी एवं मार्गदर्शक है।
English :
A foundational introductory guide to Panini’s Ashtadhyayi — the most authoritative text on Sanskrit grammar.
It simplifies the system of sutras into clear principles, structured learning, and illustrative examples, making it accessible for beginners and teaching professionals alike.
An essential companion for students of Vyakarana, competitive aspirants, and Vedic scholars.
Description
तपोनिष्ठ श्रद्धेय आचार्य श्री बलदेव जी नैष्ठिक द्वारा प्रणीत पुस्तक ‘अष्टाध्यायी प्रवेश’ संस्कृत व्याकरण से सम्बन्धित ग्रन्थ अष्टाध्यायी भाष्य अर्थात् ‘प्रथमावृत्ति’ पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है। मूल अष्टाध्यायी की व्याख्या पढ़ने से पूर्व यदि सन्धि, समास, शब्दरूप आदि की उचित जानकारी हो जाए तो अष्टाध्यायी भाष्य बहुत ही सरलता से हृदयंगम हो जाएगा और पढ़ने वालों का आधा परिश्रम भी बच जाएगा।
आजकल प्रायः गुरुकुलों में मूल अष्टाध्यायी स्मरण (रटाकर) करवा कर मात्र दस-पांच दिन सन्धि, समास, शब्दरूप की जानकारी देने के बाद अष्टाध्यायी भाष्य (प्रथमावृत्ति) पढ़ाना शुरू कर देते हैं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि छात्र-छात्राओं को सब कुछ रटना पड़ता है और बिना समझे ही रटा हुआ विषय शीघ्र ही विस्मृत हो जाता है। अष्टाध्यायी भाष्य पढ़ने से पूर्व सन्धि, समास, शब्द रूप आदि का अभ्यास न होने के कारण सम्पूर्ण प्रथमावृत्ति पढ़ने के बाद भी विद्यार्थी इन विषयों को पढ़ाने में प्रायः असमर्थ देखे जाते हैं।
कुछ सज्जनों को यह भ्रान्ति हो सकती है कि अष्टाध्यायी स्मरण कराते समय अनुवादादि सिखाने के क्रम में इन विषयों की जानकारी भी दे दी जाती है लेकिन अष्टाध्यायी स्मरण के समय इन विषयों की जानकारी बिल्कुल ऊपरी सतह से ही हो पाती है। विशेष रूप से समास के विषय में तो यह बात शत-प्रतिशत कही जा सकती है, अतः अष्टाध्यायी स्मरण के समय अथवा बाद में किसी अन्य सरल साहित्य की पुस्तक का सहारा लेते हुए इन विषयों को पूरी तरह स्पष्ट करा देना चाहिए।
इस बात का अनुभव करते हुए पूज्य आचार्यश्री ने सरल व सुबोध शैली में इन सब विषयों का संग्रह ” अष्टाध्यायी प्रवेश” नामक पुस्तक में किया है जो विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी है
Additional information
| Weight | 217 g |
|---|---|
| Dimensions | 22 × 14 × 1 cm |
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