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Presentation of Vedic Literature atharvavedic medical science

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एक सर्वमान्य तथ्य है कि विश्व में उपलब्ध समस्त ज्ञान-विज्ञान का मूलाधार वेद ही है। यद्यपि स्कन्द स्वामी, सायण आदि भाष्यकारों के भाष्यों से पाठकों को यह भ्रान्ति होती है कि वेदों में कर्मकाण्ड के अतिरिक्त कुछ नहीं है, परन्तु महर्षि दयानन्द कृत ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं वेदभाष्य को पढ़ने से यह विश्वास हो जाता है कि वेद में कर्मकाण्ड का तो प्रतिपादन है ही, साथ ही वे अन्य सभी विद्याओं के भी स्रोत हैं। महर्षि दयानन्द ने स्वयं ऋग्वेदादि-भाष्यभूमिका में यह घोषणा की है- ‘वेदेषु सर्वा विद्याः सन्ति आहोस्विन्न ? अत्रोच्यते, सर्वाः सन्ति मूलोद्देशतः ‘ ।’ उनकी सम्मति में वेदों में अवयवरूप विषय तो अनेक हैं, परन्तु मुख्य चार हैं : विज्ञान, कर्म, उपासना और ज्ञान – ‘ चत्वारो वेदविषयाः मन्ति, विज्ञानकर्मोपासनाज्ञानकाण्डभेदात्’ । अपने इस कथन की पुष्टि में उन्होंने ‘ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका’ में ब्रह्मविद्या, सृष्टि-विद्या, गणित-विद्या, वैद्यकविद्या, राजविद्या, यज्ञविद्या, कृषिविद्या, जलपोत, वायुयान, विद्युत्तार, शिल्पविद्या आदि विविध विद्याओं का वैदिक प्रमाणों सहित प्रतिपादन किया है तथा स्वरचित वेदभाष्य में भी इनका प्रकाश किया है। इससे पूर्व मनु ने भी वेदों को सभी विद्याओं का भंडार माना -सर्वज्ञानमयो हि सः । सर मोनियर विलियम्स ने भी इस तथ्य को स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हुए लिखा है कि हिन्दू केवल व्याकरणशास्त्र के ज्ञान में ही श्रेष्ठ नहीं थे, अपितु वे ज्योतिष, अंकगणित, बीजगणित, वनस्पति और ओषधि का ज्ञान भी बहुत पहले ही प्राप्त कर चुके थे।

Additional information

Weight 568 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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