Complete 4 volume set of Veda in Hindi and Sanskrit (Bigger Size) 2024 Grand Centenary Edition
Original price was: ₹11,000.00.₹9,900.00Current price is: ₹9,900.00.
Description
वेदों के इस विशिष्ट संस्करण के संबंध में सिन्धु नदी के आर-पार के क्षेत्र ने आर्यसमाज को अनेक नामी, निःस्वार्थी, परमार्थी व पुरुषार्थी सेवक, सपूत व विद्वान् दिये हैं। उन्हीं में आर्यसमाज के विख्यात प्रकाशक स्वर्गीय श्री गोविन्दराम हासानन्द का नाम लिया जा सकता है। आपका जन्म सन् 1886 में सिंध प्रान्त के शिकारपुर नगर में यशस्वी गो-सेवक श्री हासानन्द के घर हुआ। शिकारपुर भी उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में आर्यसमाज के प्रचार का एक सुदृढ़ दुर्ग बन चुका था। श्री गोविन्दराम जी को भी इस क्रान्तिकारी आन्दोलन ने खींच लिया। सात्त्विक वृत्ति के इस बालक को लोक सेवा व जाति भक्ति के संस्कार अपने पिता से भी प्राप्त हुए। POREON THE सोलह वर्ष की आयु में गोविन्दराम जी अजीविका के लिए कलकत्ता चले आए। कलकत्ता निवास काल में गोविन्दराम जी आर्यसमाज कलकत्ता से जुड़ गए। आर्यसमाज से जुड़ने के बाद श्री गोविन्दराम जी को यह दृढ़ विश्वास हो गया कि मौखिक प्रचार के साथ ही साहित्य के माध्यम से प्रचार की भी अति आवश्यकता है। फलतः सर्वप्रथम उन्होंने आर्यसमाज कलकत्ता में एक पुस्तक बिक्री विभाग को स्थापित किया। आपने विभिन्न पदों पर रहकर इस समाज की बहुत सेवा की। आपने गोविन्दराम हासानन्द फर्म की स्थापना करके कलकत्ता से ही वैदिक साहित्य प्रकाशन का अभियान छेड़ दिया। स्वल्पकाल में इस प्रकाशन संस्थान की देश-विदेश में पहचान बन गई। FOT सन् 1925 ई. में मथुरा में महर्षि दयानन्द जन्म शताब्दी महोत्सव के अवसर पर ऋषि के अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश का एक सस्ता सुन्दर संस्करण प्रकाशित करने के लिए ये ललक उठे। स्वामी श्रद्धानन्द जी की प्रेरणा से और उनके परामर्श से गोविन्दराम जी ने 6 हजार प्रतियाँ सत्यार्थ प्रकाश की छपवा दर्दी और लागत मूल्य में बेच दीं। सत्यार्थ प्रकाश के प्रचार के इतिहास में इस दृष्टि से उस समय वह एक प्रचारक की भूमिका निभाते हुए दिखाई दिए और ‘गोविन्दराम हासानन्द प्रकाशन’ की महर्षि दयानन्द के एक स्मारक के रूप में स्थापना हुई। परिवार की इस परम्परा का निर्वाह करते हुए पिताश्री विजयकुमार जी ने इस प्रकाशन को पल्लवित व पुष्पित किया। अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों का बहुत आधुनिक शैली से प्रकाशन किया। लगभग 2500 छोटी-बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन व कई पुस्तकों का पुनः प्रकाशन अबतक हो चुका। बन्धुओ, प्रकाशन के उसी क्रम में चारों वेदों का यह बृहद् और विशाल संस्करण आपके हाथों में पहुँचाते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। वेदों का भव्य-दिव्य प्रकाशन हो यह पितामह गोविन्दराम जी का एक सपना था एवं पिताश्री विजयकुमार जी का संकल्प था। वैसे तो यह ई-बुक्स का जमाना है, आप सोचेंगे इतने विशाल संस्करण की क्या आवश्यकता है। बन्धुओं आवश्यकता है, हमारी भावी पीढ़ी भी तो जाने कि बेद कितने विशालतम हैं, उनकी शिक्षाएँ आज भी कितनी प्रासंगिक हैं, और हमारा उद्देश्य है कि हर घर में वेद माता की प्रतिष्ठा हो। जब आप इसे हाथ में उठाएँ तो यह अनुभव हो कि यह मेरे हाथ में कोई भार नहीं वरन विश्व का समस्त ज्ञान-विज्ञान का भण्डार, समस्त सत्य विद्याओं का पुस्तक, मनुष्य के लिए ईश्वर प्रदत्त प्रथम नियमावली, सार्थक जीवन जीने की निर्देशिका, जो विश्व की समस्त विचारधाराओं का मूल स्रोत हैं, ऐसी अध्यात्म-दीपिका है। इस संस्करण की कुछ विशेषताएँ हैं- इस संस्करण की परिकल्पना व निर्माण सर्वाधिक मूल्यवान सामग्री से किया गया है। आधुनिक तकनीक से कम्प्यूटर द्वारा मुद्रित शुद्धतम सामग्री, संस्कृत भाषा के लिए विशेष निर्मित फोन्ट का प्रयोग, मोतियों-सी नयनाभिराम छपाई, पर्यावरण के अनुकूल खादी सिल्क के कपड़े का आकर्षक टिकाउ आवरण, चिरस्थाई उत्तम कागज, चारों कोनों पर सुनहरे त्रिकोणों से सुरक्षित व सुसज्जित उत्कृष्ट व मजबूत जिल्दबन्दी, सुन्दर स्पष्ट स्थूल अक्षर, कुल 8000 बृहद आकार के पृष्ठों में, दो रंगों में छपाई, मूल संस्कृत मन्त्र, ऋषि, देवता व छन्दों का यथास्थान निर्देश, प्रत्येक शब्द का अर्थ, यथावत हिन्दी में भावार्थ व सम्पूर्ण मन्त्रों की अनुक्रमाणिका, अनुभवी प्रूफ संशोधकों द्वारा सम्पादन इस संस्करण को विशेषता प्रदान करते हैं।
Additional information
Weight | 16500 g |
---|---|
Dimensions | 29 × 23 × 41 cm |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.