Prabhu Darshan
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Description
पूज्यपाद वीतराग महात्मा श्री आनन्द स्वामी जी महाराज भारत की एक उज्ज्वल विभूति थे । उनकी वाणी और लेखनी दोनों ही बहुत सबल और यशोमयी रहे। उनका जन्म पश्चिमी पंजाब के गुजरात मण्डल-अन्तर्गत, एक ग्राम ‘जलालपुर जट्टाँ’ में हुआ था। उनके पिताजी कट्टर आर्य थे। उनसे आर्यत्व की भावना और अपने पूर्वजन्म के संस्कारों से लिखने की कला लेकर ये लाहौर आये । ‘आर्य-गज़ट’ के सम्पादक बने। फिर उन्होंने दैनिक ‘मिलाप’ का संचालन और सम्पादन आरम्भ किया । उर्दू ‘मिलाप’ में सफलता प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने ‘हिन्दी मिलाप’ आरम्भ किया। यह उस समय की बात है, जबकि पंजाब में हिन्दी दैनिक का प्रकाशन बहुत भारी जोखम और साहस का कार्य समझा जाता था । पहले आप खुशहालचन्द नाम से प्रसिद्ध थे। फिर लाला खुशहालचन्द ‘खुर्सन्द’ कहलाये । फिर खुशहालचन्द ‘आनन्द’ बने और फिर एक दिन यमुनानगर में पूज्यपाद १०८ श्री स्वामी आत्मानन्द जी महाराज से संन्यास की दीक्षा लेकर महात्मा आनन्द स्वामी सरस्वती के रूप में संसार के सामने आये ।
अपनी युवा-अवस्था में ही आपने श्रार्यसमाज में प्रवेश किया । देखते-ही- देखते आर्यसामाजिक क्षेत्रों में तथा देश के राजनैतिक जीवन में, आपने अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया। स्वर्गीय पंजाब केसरी श्री लाला लाजपतराय जी और श्री महात्मा हंसराज जी का आपके प्रति अगाध प्रेम और विश्वास था । आपने सेवा के सभी क्षेत्रों में बहुत बड़े-बड़े कार्य किये । सच्चे हृदय से, पूर्ण लग्न से और निरन्तर पुरुषार्थ करके मनुष्य क्या-क्या कर सकता है, इसका उत्तर आपके जीवन से हमें प्राप्त होता है।
आर्यगजट, मिलाप, हिन्दी मिलाप आदि अनेक पत्रों के सम्पादक, अनेक ग्रन्थों के लेखक और प्रकाशक, आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा के मन्त्री एवं प्रधान, श्रीमद्द्यानन्द ऐंग्लो वैदिक कॉलिज कमेटी के माननीय सदस्य, आर्य- सत्याग्रह हैदरावाद के तृतीय सर्वाधिकारी आदि-आदि के रूप में आपने जो-जो
Additional information
Weight | 200 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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