Vaidik Updesh Mala
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Description
इस पुस्तक में बारह वेदोपदेश संगृहीत हैं। इनके लेखक गुरुकुल कांगड़ी के भूतपूर्व आचार्य श्री पूज्य अभयदेव (देव शर्मा ‘अभय’) जी हैं जो कि वेदों का मनन करने- वाले और वेदोपदेश को वस्तुतः जीवन में लानेवाले हैं। ये बारह लेख श्री आचार्यजी ने ऋषि दयानन्द शताब्दी के महोत्सव से, जो कि मथुरा में १६८१ संवत् की शिवरात्रि पर मनाया गया था, बारह महीने पहिले लिखने प्रारम्भ किये थे । महोत्सव मनाने तथा प्रचार-कार्य के लिए धन एकत्रित हो रहा था, आर्यसमाज के सभासद् खूब बढ़ाए जा रहे थे, धर्म- प्रचार के लिए कई ग्रन्थ तैयार किये जा रहे थे। मतलब यह है कि वैदिकधर्मी समाज में खूब यत्न हो रहा था, परन्तु लेखक महोदय ने सोचा कि क्या इस सौ वर्ष के बाद आनेवाले उत्सव पर इतना ही कार्य पर्याप्त है ? इसलिए आपके मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि इस महोत्सव से वे अपना क्या बनावें ? ऋषि के इस सार्वभौम स्मरण के शुभ अवसर से अपना कल्याण किस प्रकार करें ? और फिर निश्चय किया कि इस अवसर से लाभ उठाकर वर्ष-भर के अन्दर वे अपने-आप को दृढ़ “वैदिकधर्मी” बनावें । इसलिए आगामी बारह महीनों में आपने प्रतिमास एक- एक वैदिक उपदेश को चुना और दयानन्द के पवित्र उच्च जीवन से सहायता लेकर उसको अपने जीवन में चरितार्थ करने का यत्न किया। आपका विशेष प्रयोजन यह था कि अगली शिवरात्रि तक आप बारह उपदेशों से सुसज्जित होकर अपना उत्सव मना सकें और कह सकें कि आप वैदिकधर्मी हैं, दयानन्द के शिष्य हैं।
Additional information
Weight | 115 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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