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Namaste ki Vyakhya

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Description

नमस्ते की व्याख्या हमारी आर्य जाति का वेद ही एकमात्र स्वतः प्रमाण धर्म-पुस्तक है । यही हमारा ईश्वरीय ज्ञान है। अपने आपको आर्य हिन्दू कहनेवाला कोई भी व्यक्ति इस सिद्धान्त से इन्कार नहीं करेगा । वैदिकधर्मी तथा पौराणिकधर्मी, सभी के आचार-व्यवहार का मूलस्रोत वेद ही होना चाहिए । वैसे तो भारतवर्ष के अन्दर बहुत से धर्म प्रचलित हैं, परन्तु हमें इस लेख में उन धर्मों से कोई शिकायत नहीं करनी, जो वेद को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि जब वे वेदों को श्रद्धा की दृष्टि से देखते ही नहीं तो उनके सामने वेदों का प्रमाण उपस्थित करके हम क्या कहेंगे ? अतः, हे वेदानुयायी भाइयो! आओ, आज हम इस बात पर विचार करें कि वैदिक साहित्य के अनुसार हमारा परस्पर सत्कार एवम् आशीर्वादसूचक शब्द क्या होना चाहिए ? हमारी जाति में तो एकता को आने में ही डर लगता है। हमारे रीति-रिवाज एक नहीं, हमारे विचार एक नहीं, हमारी शिक्षा एक नहीं, मतलब कहने का यह कि हमारा कुछ भी एक नहीं । ‘एकता’ के विश्राम के लिए जब कि हमारा कुछ भी एक नहीं, तो एकता आवे कहाँ से? कोई कहता है ‘नमस्ते’ तो दूसरा चिल्लाता है ‘जय गोपाल जी’; एक ने बड़े मीठे स्वर में कहा ‘सीताराम’, तो दूसरा भन्नाकर बोलता है ‘बोलो राधेश्याम’; और लगे दोनों लड़ने। एक ने किया ‘राम-राम’ तो दूसरे ने उत्तर दिया ‘जय श्रीकृष्ण’।

Additional information

Weight 115 g
Dimensions 18 × 12 × 1 cm

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