Shukra Niti – Sanskrit Text with Hindi Translation
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Description
पुस्तक परिचय नीतिशास्त्र से भिन्न अन्य सभी शास्त्रों ने व्यवहारिक जगत् के किसी एक भाग का ही वर्णन किया है, किन्तु सार्वजनिक हित एवं सामाजिक सुरक्षा का बन्धकत्व नीतिशास्त्र ही देता है, क्योंकि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूप पुरूषार्थ चतुष्टय का यह साधक है। इसी परम्परा में संस्कृत के विश्वविजयी नीतिग्रन्थों में भृगुपुत्र दानवगुरू शुक्राचार्य द्वारा रचित शुक्रनीति भी एक अद्भुत ग्रन्थ है। इनकी मौलिकता पर उँगली उठाने वाले भी इनकी लोकप्रियता के सम्बन्ध में दो मत नहीं रखते। संस्कृत में ऐसे श्रेष्ठ ग्रन्थों की भी एक विशाल परम्परा है, जिन्हें प्रामाणिक लेखकों के अभाव में मौलिक मानने में हिचकिचाहट हो सकती है, किन्तु जो लोकप्रियता में अब भी अतुल है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विचार करने पर शुक्रनीति की विशिष्टता और महत्ता और अधिक स्पष्ट हो जाती है। इसके अध्ययन से तत्कालीन भारतीय समाज, उसके चिन्तन और उसकी प्रवृत्ति पर पूर्णं प्रकाश पड़ता है। राजनीति सम्बन्धी तथ्यों का ज्ञान, जो सामान्यतः सार्वजनीन कहा जा सकता है, हमें इस ग्रन्थ से मिलता है। इस ग्रन्थ की अपनी विशिष्ट गरिमा है। विषयवस्तु के संकलन की दृष्टि से व्यावहारिक तथ्य-निरूपण में इस ग्रंथ की महत्ता अद्वितीय है। यह ग्रन्थरत्न अनेक संस्करणों में अनेक रूप में प्रकाशित हैं। इनमें ऑपर्ट (Oppert) महोदय का मद्रास से प्रकाशित संस्करण, जीवानन्द विद्यासगार द्वारा कलकत्ता से प्रकाशित संस्करण, प्राध्यापक विनय कुमार सरकार का ‘Sacred Books of Hundu Series’ में अंग्रेजी अनुवाद का संस्करण, पण्डित श्री ब्रह्मशङ्कर मिश्र द्वारा लिखित संस्करण जहाँ-तहाँ पूरे-अधूरे रूप में उपलब्ध है। परन्तु इस ग्रंथरत्न के विभिन्न संस्करणों को मिलाकर देखने पर इसमें अनेक विभिन्नताएँ दीख पड़ती है। प्रस्तुत संस्करण लेखक ने जीवानन्द विद्यासागर द्वारा प्रकाशित संस्करण के मूल पाठ को अपनी संस्कृत-हिन्दी व्याख्या का आधार बनाया है। साथ ही जीवानन्द विद्यासागर की संस्कृत टीका को भी इसमें सम्मिलित किया गया है।
Additional information
Weight | 1200 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 6 cm |
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