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Presentation of Vedic Literature Vaisheshikadarshanam

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वैशेषिक दर्शनकार महर्षि कणाद की प्रतिज्ञा है “अथातो धर्म व्याख्या-(३० द० १।१।१) । इस सूत्र में आये ‘धर्म’ शब्द से महर्षि मनु द्वारा (मनुस्मृति ६।६२ में) लक्षित ‘वृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रियनिग्रह, श्री, विद्या, सत्य और अक्रोध” ये दश गुण अभिप्रेत नहीं। ‘धर्म’ शब्द से तो गह अभिप्रेत है छह पदार्थों (द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय) की विशेषतायें। मात्र यही अर्थ कणाद सूत्रों में प्रतिपादित विषय वस्तु के साधार पर ‘धर्म’ शब्द का इस प्रसंग में किया जाना चाहिये। श्री पं० उदयवीर श्री शास्त्री ने भी अपने इस भाष्य में इसी अर्थ को अपनाया है, हालांकि वैशेषिक दर्शन के सभी भाष्यकार इसके विपरीत ‘धर्म’ शब्द का अर्थ ‘सदाचार’ अथवा ‘श्रेष्ठाचार’ आदि ही करते आये हैं। सच पूछो तो वैशेषिक दर्शन में प्रतिपादित वस्तु विवरण को ध्यान में रखते हुए ‘धर्म शब्द का सदाचारपरक वर्थ किया जाना यहां सर्वथा महत्त्वहीन दिखाई पड़ता है।
वैदिक ऊहापोह में नैयायिक विचार पद्धति और वैशेषिक मनन प्रक्रिया बोनों ही समान धारायें हैं। न्याय दर्शन और वैशेषिक दर्शन को इसी कारण एक दूसरे का समान शास्त्र कहा जाता है, मानों ये दोनों किसी समान अर्थ का उपपादन करने में एक दूसरे के सहायक (अनुपूरक) हों। वह ‘समान अर्थ’ है “जगत पहेली” जिसे देख मानव चकित हो उठता है और थककर न चाहता ॥था भी बार बार सोचने पर मजबूर हो जाता है कि यह गोरख बन्धा है क्या? बौरा बना है ? किसने बनाया है? मेरा यहां क्या स्थान है? क्या कर्त्तव्य हैं ? धौर क्या अकर्त्तव्य ? इस सारे सोच विचार का मुख्य आधार है वह अनुभव जो मानव को इन्द्रियों (स्व-इन्द्रियों) के अर्थों (जगत्-पदार्थों) के सन्निकर्ष से प्राप्त होता है। इसी इन्द्रियार्थसन्निकर्षजन्य अनुभूति की विश्लेषण प्रक्रिया न्याय-वर्णन का विषय है और उस विश्लेषण से प्राप्त जगत्-पदार्थों से संबन्धित ज्ञान वैशेषिक दर्शन का विषय है। वैशेषिकदर्शन पदार्थ और उनके धर्मों का उल्लेख,
* इस प्रतिज्ञा सूत्र का अर्थ है कि “इस कारण अब हम धर्म की व्याख्या करेंगे।”

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Description

वैशेषिकदर्शनम् (Vaiśeṣika Darśanam) भी भारत के षड्दर्शन (छः प्रमुख भारतीय दर्शनों) में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य पदार्थों का वर्गीकरण करके यथार्थ ज्ञान द्वारा मोक्ष प्राप्त करना है। 📚 वैशेषिक दर्शन – एक परिचय संस्थापक: महर्षि कणाद मुख्य ग्रंथ: वैशेषिकसूत्र (कणादसूत्र) लक्ष्य: विशेष ज्ञान (विशेषता के आधार पर पदार्थों की पहचान) द्वारा मोक्ष की प्राप्ति। 🔍 वैशेषिक दर्शन की विशेषताएँ 1. पदार्थों का वर्गीकरण (Categories of Reality) वैशेषिक दर्शन ने सप्त पदार्थ (सात श्रेणियाँ) बताए हैं, जिनसे समस्त जगत का निर्माण होता है: पदार्थ अर्थ 1. द्रव्य पदार्थ – जो अस्तित्व में है (Substance) 2. गुण गुण – जो द्रव्य में रहते हैं (Quality) 3. कर्म क्रिया – जैसे गति, खिंचाव (Action) 4. सामान्य सामान्य – जाति या सामान्यता 5. विशेष विशेष – एकात्मकता को दर्शाता है 6. समवाय अविनाभाव संबंध (Inherence) 7. अभाव अभाव – अनुपस्थिति या नकार (Negation) 2. द्रव्य (Substance) वैशेषिक में 9 प्रकार के द्रव्य माने गए हैं: पृथ्वी आप (जल) तेज (अग्नि) वायु आकाश काल (Time) दिशा (Space) आत्मा मन 3. अनुपम विश्लेषण यह दर्शन परमाणुवाद (Atomism) का समर्थन करता है: सभी भौतिक वस्तुएँ परमाणुओं (Atoms) से बनी होती हैं। न्याय दर्शन के साथ मिलकर यह ज्ञानमीमांसा (Epistemology) और तर्कशास्त्र का आधार बनाता है। 🎯 अंतिम लक्ष्य मोक्ष (liberation) – यह सही ज्ञान द्वारा संभव है। अज्ञान के नाश से दुख का अंत होता है और आत्मा स्वतंत्र हो जाती है। 🆚 न्याय व वैशेषिक दर्शन पक्ष न्याय वैशेषिक दृष्टिकोण तर्कप्रधान वस्तुविज्ञानप्रधान प्रमाण 4 प्रमाण मूलतः 2 (प्रत्यक्ष, अनुमान) विशेषता तर्क-शास्त्र पदार्थ-शास्त्र

Additional information

Weight 700 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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