Sale!

Presentation of Vedic Literature Nyayadarshanam

Original price was: ₹750.00.Current price is: ₹450.00.

न्यायदर्शनम् (Nyāya Darśanam) भारत के षड्दर्शन (षड्दर्शनानि – छः दर्शनों) में से एक प्रमुख दर्शन है। इसका मुख्य उद्देश्य तार्किक विश्लेषण और ज्ञान की प्राप्ति के उपायों का विवेचन करना है। 📚 न्यायदर्शनम् – एक परिचय संस्थापक: गौतम ऋषि (प्रथम महर्षि गौतम) मुख्य ग्रंथ: न्यायसूत्र (लगभग ईसा पूर्व 2वीं शताब्दी) लक्ष्य: मोक्ष की प्राप्ति साम्ययोगज्ञान (right knowledge) द्वारा। 🔍 न्यायदर्शन की विशेषताएँ प्रमाण (Means of Knowledge): न्यायदर्शन चार प्रमाणों को मानता है, जिनसे यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति होती है: प्रत्यक्ष (Perception) अनुमान (Inference) उपमान (Comparison) शब्द (Verbal testimony) प्रमेय (Objects of Knowledge): न्यायदर्शन में 16 तत्वों का वर्णन किया गया है (षोडशपदार्थ), जैसे: प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धान्त, अवयव, तर्क, आदि। विवेकशीलता: यह दर्शन तर्क और प्रमाण पर अत्यधिक बल देता है। यह अन्य दर्शनों की मीमांसा (logical analysis) करता है और उनका खंडन-मंडन भी। 🧠 न्यायदर्शन और तर्कशास्त्र न्यायदर्शन को तर्कशास्त्र का मूल भी कहा जाता है। इसके बिना किसी भी भारतीय दर्शन को सही रूप से नहीं समझा जा सकता, क्योंकि यह सोचने और समझने की पद्धति सिखाता है। 🎯 अंतिम लक्ष्य मोक्ष (liberation) – यह अज्ञान के नाश और यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति से संभव है। अतः ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है।

Additional information

Weight 815 g
Dimensions 22 × 14 × 4 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.