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Presentation of Vedic Literature Brahmasutra (Vedantadarshanam)

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ब्रह्मसूत्र, जिसे वेदान्तसूत्र भी कहा जाता है, वेदान्त दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह ग्रंथ भारतीय दर्शनों में छठा और अंतिम दर्शन — वेदान्त दर्शन — का आधारभूत ग्रंथ है। इसका श्रेय महर्षि बादरायण (व्यास) को दिया जाता है। 🔷 ब्रह्मसूत्र का संक्षिप्त परिचय रचयिता: महर्षि बादरायण (व्यास) अन्य नाम: वेदान्तसूत्र, उत्तर मीमांसा सूत्रों की संख्या: लगभग 555 (संख्या विभिन्न परंपराओं में थोड़ी भिन्न हो सकती है) विषय: उपनिषदों, भगवद्गीता और ब्रह्म विचारों का तार्किक और सूत्रबद्ध समन्वय प्रमुख उद्देश्य: उपनिषदों में निहित ज्ञान को सूत्ररूप में प्रस्तुत करना ब्रह्म (परमात्मा) और जीव (जीवात्मा) के स्वरूप, संबंध और मोक्ष का विश्लेषण 🔷 ब्रह्मसूत्र के चार अध्याय समन्वय अध्याय (समन्वय: अध्या:) उपनिषदों के विचारों का समन्वय किया गया है। ब्रह्म ही जगत का कारण है, यह प्रतिपादित किया गया है। अविरोध अध्याय (अविरोध: अध्या:) उपनिषदों और तर्कों में कोई विरोध नहीं है, यह सिद्ध किया गया है। साधन अध्याय (साधन अध्या:) मोक्ष प्राप्ति के साधन – ज्ञान, भक्ति, ध्यान आदि की चर्चा की गई है। फल अध्याय (फल अध्या:) मोक्ष का स्वरूप और उसके फल का वर्णन किया गया है। 🔷 ब्रह्मसूत्र पर प्रमुख भाष्यकार: आदि शंकराचार्य – अद्वैत वेदान्त रामानुजाचार्य – विशिष्टाद्वैत मध्वाचार्य – द्वैत वेदान्त वल्लभाचार्य – शुद्धाद्वैत निंबार्काचार्य – द्वैताद्वैत बालदेव विद्याभूषण – अचिन्त्यभेदाभेद (गौड़ीय वैष्णव परंपरा) इन विभिन्न भाष्यकारों ने उपनिषदों के ब्रह्मज्ञान की व्याख्या अपने-अपने दर्शन के अनुसार की, जिससे विभिन्न वेदान्त परंपराएँ विकसित हुईं। 🔷 ब्रह्मसूत्र का महत्व यह वेदान्त त्रयी (प्रस्थानत्रयी) का एक स्तंभ है: उपनिषदें (श्रुति प्रस्थान) भगवद्गीता (स्मृति प्रस्थान) ब्रह्मसूत्र (न्याय प्रस्थान) ब्रह्मसूत्र तर्क और विवेक के आधार पर ब्रह्म (सत्य) को प्रमाणित करता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

Additional information

Weight 1060 g
Dimensions 22 × 14 × 5 cm

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