Vishwasghaat
Original price was: ₹150.00.₹135.00Current price is: ₹135.00.
उपन्यासकार गुरुदत्त का जन्म जिस काल और जिस प्रदेश में हुआ है उस काल में भारत के राजनीतिक क्षितिज पर बहुत कुछ विचित्र घटनाएँ घटित होती रही हैं। गुरुदत्त जी इसके प्रत्यक्षद्रष्टा ही नहीं रहे अपितु यथासमय वे उसमें लिप्त भी रहे हैं। जिन लोगों ने उनके प्रथम दो उपन्यास ‘स्वाधीनता के पय पर’ और ‘पथिक’ को पढ़ने के उपरान्त उसी शृङ्खला के उसके बाद के उपन्यासों को पढ़ा है उनमें अधिकांश ने यह मत व्यक्त किया है कि उपन्यासकार आरम्भ में गांधीवादी था, किन्तु शनैः-शनैः वह गांधीवाद से निराश होकर हिन्दुत्ववादी हो गया है।
जिस प्रकार लेखक का अपना दृष्टिकोण होता है उसी प्रकार पाठक और समीक्षक का भी अपना दृष्टिकोण होता है। पाठक अथवा समीक्षक अपने दृष्टि-कोण से उपन्यासकार की कृतियों की समीक्षा करता है। उसमें कितना यथार्थ, होता है, यह विचार करने की बात है। इसमें तो कोई सन्देह नहीं कि व्यक्ति की विचारधारा का क्रमशः विकास होता रहता है। यदि हमारे उपन्यासकार गुरुदत्त के विचारों में विकास हुआ है तो वह प्रगतिशीलता का ही लक्षण है। किन्तु हम उन पाठकों और समीक्षकों के इस मत से सहमत नहीं कि आरम्भ का गांधीवादी गुरुदत्त कालान्तर में गांधी-विरोधी रचनाएँ लिखने लगा। इस दृष्टि से गुरुदत्त की विचारधारा में कहीं भी परिवर्तन हमें नहीं दिखाई दिया। गांधी के विषय में जो धारणा उपन्यासकार ने अपने प्रारम्भिक उपन्यासों में व्यक्त की है, क्रमशः उसकी पुष्टि ही वह अपने अवान्तरकालीन उपन्यासों में करता रहा है।
Additional information
Weight | 400 g |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.