Chhand Sutram
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“वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है”- इस प्रकार के ऋषिवचनों से सिद्ध है कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त वेदज्ञान को प्राप्त करना मानवमात्र के लिए अत्यावश्यक है।
वेदाध्ययन से पूर्व उसके अङ्गों का अध्ययन करना चाहिए। वेद के छह अङ्ग हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष ।
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने संस्कारविधि के वेदारम्भ प्रकरण में लिखा है-पिङ्गलाचार्यकृत पिङ्गलसूत्र छन्दोग्रन्थ भाष्यसहित तोन महीने में पढ़ें और तीन महीने में श्लोकादिरचनविद्या को सीखें।
इन्हीं ऋषिवर ने इसी प्रकार सत्यार्थप्रकाश तृतीयसमुल्लास में भी निर्देश दिया है – पिङ्गलाचार्यकृत छन्दोग्रन्थ जिससे वैदिक लौकिक छन्दों का परिज्ञान, नवीन रचना और श्लोक बनाने की रीति भी यथावत् सीखें। इस ग्रन्थ और श्लोकों की रचना तथा प्रस्तार को चार महीनों में सीख पढ़-पढ़ा सकते हैं। और वृत्तरत्नाकर आदि अल्पबुद्धिप्रकल्पित ग्रन्थों में अनेक वर्ष न खोवें ।
Additional information
Weight | 500 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
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