Apastambagrihyasutram
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‘गौतमधर्मसूत्र’ के हिन्दी अनुवाद के बाद ‘आपस्तम्बधर्मसूत्र’ को हिन्दी अनुवाद तथा टिप्पणियों के साथ प्रस्तुत करते हुए मेरा लक्ष्य यही है कि धर्मशास्त्रीय विचारों के व्यापक बोध में कुछ योगदान कर सकूँ। प्राचीन मान्यताओं का अध्ययन कर उनकी युगसापेक्ष व्याख्या करने से ही हमारी अनेक सामाजिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। अतीत के ऐतिहासिक अध्ययन का यह अर्थ कदापि नहीं है कि परिवर्तन के पहिए को पीछे घुमाने का निष्फल प्रयास किया जाय । परम्परागत धर्मशास्त्रीय सिद्धान्तों की उपयोगिता उनके उत्तम पहलू एवं नैतिकता के जीवनदर्शन को समझने एवं व्यवहार में अनूदित करने में ही निहित है। प्रस्तुत ग्रन्थ में सूत्रों का सरल हिन्दी अनुवाद देने का प्रयास किया गया है और जहाँ सूत्र के अर्थ के विषय में स्पष्टीकरण आवश्यक है, वहाँ टिप्पणियाँ भी दी गयी है। प्रस्तावना में धर्मसूत्र साहित्य एवं भारतीय धर्म के स्वरूप पर विचार किया गया है और विशेषतः ‘आपस्तम्बधर्मसूत्र’ का समालोचनात्मक एवं सामाजिक अध्ययन भी संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। अन्त में सूत्रों में आए हुए विषयों एवं नामों की अनुक्रमणिका दी गयी है, जिससे अनुसन्धाताओं को सुविधा होगी। इस ग्रन्थ के प्रकाशन और मुद्रण का सारा श्रेय चौखम्बा संस्कृत सीरीज़ आफिस के अनुभवी संचालकों को है अतः उन्हें अपनी ओर से धन्यवाद देना मेरा कर्त्तव्य है। अन्त में जिनके विश्वासपूर्ण सहयोग एवं प्रेरणा से मैं भारतीय साहित्य की यत्किचित् सेवा करने में संलग्न हूँ, उन स्वजन एवं प्रियजन के प्रति भी हृदय से कृतज्ञ हूँ। गुरुजनों के आशीर्वाद से यह मेरा परिश्रम सफल होगा, यही आशा है। ‘विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव । यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥’ विनीत उमेशचन्द्र पाण्डेय
Additional information
| Weight | 500 g |
|---|---|
| Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
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