Itihaas Mein Bhartiya paramparaen
Original price was: ₹150.00.₹135.00Current price is: ₹135.00.
स्तुणी. बहिरानुषम् घृतपृष्ठं मनीषिणः । यत्रामृतस्य चक्षणम् ।।
(ऋ० मण्डल १ सू० १३०५)
हे मनीषियो ! आप लोग अपने आसन एक-दूसरे के समीप विद्यायो। वहाँ घी के पात्र रखे जायें और वहाँ अमृत का दर्शन हो ।
वेद भगवान् सव विद्वान् मनुष्यों को यह सम्मति देते हैं कि वे परस्पर समीप बैठकर यज्ञ के निमित्त घृत के पात्र रखकर प्रयोग करें। ऐसा करने से उनको अमृत के दर्शन होंगे। घृत से अभिप्राय उस सामग्री तथा साधन से है जिनसे यज्ञ हो सके और यज्ञ का अभिप्राय है लोक-कल्याण-कार्य। इस प्रकार इस वेद मन्त्र का अर्थ यह वनता है कि विद्वान् पुरुष परस्पर विचार-विनिमय कर, सबके हित में यत्न करें और उसके लिये उनके पास साधन उपलब्ध किये जायें।
इसी भावना से इस पुस्तक को लिखने का प्रयास किया गया है। जो कुछ भी इस पुस्तक में वर्णित है वह उपलब्ध सामग्री से उत्पन्न विचार और परिणाम को विज्ञ पाठकों के सम्मुख रखने का यत्न है।
स्कूल में इतिहास पढ़ते समय हमें अपनी पाठ्य-पुस्तकों में यही पढ़ने को मिलता था कि भारतवर्ष का इतिहास नहीं मिलता। भारतवर्ष के पूर्वजों को इतिहास लिखना नहीं आता था। अतः पुराने शिलालेख, मुद्राएँ और विदेशी यात्रियों के लेखों से ही यहाँ के इतिहास का अनुमान लगाना पड़ता है। उस समय भी इस प्रकार के कथन हमें कानों में खटकते थे ।
Additional information
Weight | 400 g |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.