Rigvedadi Bhashya Bhumika
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स्वामी दयानन्द सरस्वती चारों वेदों का जो भाष्य रचना चाहते थे, उस भाष्य के आधारभूत 35 विषयों का इस भूमिका में निरूपण किया है। इसलिए ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका को अच्छी प्रकार से पढ़े बिना स्वामी दयानन्द सरस्वती का वेद-भाष्य यथावत् समझ में नहीं आ सकता।
-पं. युधिष्ठिर मीमांसक
पूर्व के वेदभाष्यकारों के अनेक अनार्ष मतों का विवेचन करके सप्रमाण वैदिक आर्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन इस ग्रन्थ में किया गया है। वेद के सिद्धान्तों को समझने के लिए यह ग्रन्थ अपूर्व है।
– श्री देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय
महर्षि ने इस भूमिका में पहले इस प्रश्न का उत्तर दिया है कि वेद क्या हैं और वेदोत्पत्ति का अत्यन्त सूक्ष्म विषय, सारगर्भित रीति से, निरूपण करने के पश्चात् वेदमन्त्रों के प्रमाणों से वेदों के विषयों को दर्शाते हुए, वेदों के सच्चे महत्व का बोधन कराया है।
-पं. लेखराम
जिन नियमों और सिद्धान्तों के आधार पर महर्षि वेदभाष्य करना चाहते थे, उनका विस्तृत वर्णन ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ग्रन्थ में किया गया है।
– प्रो. विश्वनाथ विद्यालंकार
Swami Dayanand’s Rigvedadi Bhashya Bhumika is a unique work in the field of Vedic Scholarship. Almost all vedic works and other scriptural and philosophical treatises in Sanskrit have been quoted in this work. It contains more than one thousand citations from all spheres of Sanskrit Literature, including three hundred verses from the Vedas.
Additional information
Weight | 662 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
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