Kaun Kahta Hai Akbar Mahan tha
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मध्ययुगीन मुस्लिम दरबारी इतिवृत्तों के अध्ययन से सम्बन्धित (आठ खण्डों में) अरबी पुस्तक की प्रस्तावना में सुविख्यात इतिहासकार श्व सर एच. एम. इलियट ने यह अभिगत व्यक्त किया है कि भारतवर्ष में मुस्लिम शासनकाल का इतिहास एक धृष्ट एवं मनोरंजक धोखा है।
किन्तु मुस्लिम काल के इतिहास के सम्बन्ध में अनिश्चित रूप से केवल यह अनुभव कर लेना कि वह ‘धोखा’ है अथवा प्रवचनाओं से पूर्ण है, पर्याप्त नहीं है। उसकी गम्भीरता के समुचित मूल्यांकन के लिए भली-भाँति छानबीन करने एवं तथ्यों की ‘अग्नि परीक्षा’ की आवश्यकता है।
मुस्लिम ‘धोखों’ का भण्डाफोड़ करने वाले सर एच. एम. इलियट जैसे विचक्षण पाश्चात्य विद्वान् मध्ययुगीन मुस्लिम बादशाहों के झूठे दायों से कई रूपों में प्रवंचित होते रहे हैं। उदाहरण के लिए वे यह अनुभव करने में असमर्थ रहे हैं कि मध्ययुगीन मुस्लिम बादशाहों द्वारा जो बड़े-बड़े दावे किये गये हैं कि उन्होंने अनेक नगरों को बसाया, मकबरों तथा मस्जिदों का निर्माण कराया, तो ये भी अन्य मुस्लिम व्यामोहों के समान ही ‘धोखे हैं। इनकी भी परिगणना ऐतिहासिक प्रवंचनाओं में की जानी चाहिए। इतिहासकारों, शिल्पियों तथा पुरातत्त्ववेत्ताओं ने, यह विश्वास करने में कि फतेहपुर सीकरी. आगरे का लालकिला तथा पुरानी दिल्ली इत्यादि को मुस्लिम बादशाहों ने बसाया तथा वहाँ निर्माण कार्य किये, भयंकर भूलें की हैं। अपनी ‘ताजमहल एक राजपूती राजभवन था’ शीर्षक पुस्तक तथा इसके परवर्ती संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण ‘ताजमहल मन्दिर भवन है में हमने मध्ययुगीन भव्यतम मन्दिर ‘ताजमहल’ के निर्माण को लेकर शाहजहाँ की अधिकृति से सम्बन्धित ‘धोखे का भण्डाफोड़ किया है। इसी प्रकार अपने एक दूसरे शोध-ग्रन्थ ‘भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें’ में भी कतिपय अन्य धोखों, जालसाजियों तथा भ्रान्त धारणाओं का सम्यक् रहस्योद्घाटन हमने किया है।
Additional information
Weight | 370 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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