Tatvgyan
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“ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। उसी की उपासना करनी योग्य है।” महर्षि दयानन्द सरस्वती
ईश्वर के सम्बन्ध में उक्त कथन महान् वार्शनिक, त्तत्त्ववेत्ता, समाज सुधारक, परम तपस्वी, बाल-ब्रह्मचारी, वेदों के प्रकाण्ड विद्वान्, अदभुत तार्किक, महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का है, जो उन्होंने आर्य समाज के दूसरे नियम के रूप में प्रस्तुत किया है। उक्त कथन में ईश्वर के जितने गुण बताये गये हैं, हम इन पर क्रमशः संक्षिप्त विवेचन और महर्षि गौतम प्रणीत न्यायदर्शन की पञ्चावयव पद्धति से ईश्वर को जानने का प्रयत्न करेंगे। प्रस्तुत है पहले ‘संक्षिप्त विवेचन’ और बाद में ‘पञ्चावयव’।
Additional information
Weight | 180 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 1 cm |
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