Yajurved aur grihsth Dharm
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यह भारतीय मान्यता है कि वेद ईश्वरीय ज्ञान है। अथर्ववेद में एक मन्त्र
यस्मादृचो अपातक्षन् यजुर्यस्मादपाकषन् ।
सामानि यस्य लोमान्ययर्वाङ्गिरसो मुखं स्कम्भं तं ब्रूहि कतमः स्विदेव सः ।।
अर्थ है-
– अथवं० १०-७-२०
जिससे ऋचः (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद के मन्त्र और अयर्व के वाक्य)
[प्राप्त हुए] और जिनको ऋषियों ने] सूक्ष्म रूप में कहा, वे किसने धारण किये हुए थे और किसने उनको कहा था ?
वेद अथवा ऋषियों का कहना है कि इनको परमात्मा ने धारण किया हुआ था और ऋषियों ने लोक कल्याण के लिए कहा ।
यह वचन ऋग्वेद के इस मंत्र के सर्वया अनुकूल है-विश्वान् बेवाञ्जगत्या विवेश तेन चाक्लूत्र ऋषयो मनुष्याः ।।
-ऋ० १०-१३०-५
ऋग्वेद में, इससे पूर्व के मंत्रों में यह कहा है कि अग्नि, सविता, सोम, बृहस्पति, मित्र, वरुण, इन्द्र और समस्त देवता वेद छन्दों के प्रसारण में सहायक हुए थे। इस मंत्र में कहा है किं इन छन्दों से पहले ऋषि ज्ञानवान् हुए और फिर उनसे मनुष्य लाभान्वित हुए ।
Additional information
Weight | 225 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 1 cm |
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