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Yog Darshan

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मनुष्य ने चाहे कितनी ही भाषाओं, विद्याओं, कलाओं को सीख लिया हो; कितनी ही उपाधियों यश, प्रतिष्ठा, धन-ऐश्वर्य को क्यों न प्राप्त कर लिया हो; जीवन पथ पर रोग, अभाव, विश्वासघात, हानि, वियोग, अपमान, अन्याय से सम्बन्धित दुःख आ ही जाते हैं। ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में मनुष्य चिन्तित, निराश एवं अशान्त हो जाता है। सारी आशाएँ तथा कल्पनाएँ नष्ट हो जाती हैं, सब कुछ अन्धकारमय दिखाई देता है। घटनाओं से सम्बन्धित विचारों पर नियंत्रण न रख पाने के कारण मनुष्य अत्यन्त क्षुब्य अथवा पागल सा हो जाता है। कोई भी समाधान न प्राप्त कर सकने के कारण उत्पन्न हुए महादुःख से बचने के लिए वह कुएँ में गिरकर, विष खाकर, मिट्टी का तेल डाल-आग लगाकर, गाड़ी के नीचे आकर, फाँसी के फन्दे पर लटककर या अन्य किसी प्रकार से जीवन को ही समाप्त करने की सोचता है और कर भी लेता है। अथवा क्रोध के वशीभूत होकर दूसरों का बहुत बड़ा अनिष्ट कर देता है, फिर चाहे परिणाम स्वरूप जीवन भर पश्चात्ताप की अग्नि में क्यों न जलना पड़े या जेल के बन्धन का जीवन क्यों न काटना पड़े।

Additional information

Weight 190 g
Dimensions 22 × 14 × 1 cm

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