Rashtra Rajya aur sanvidhan
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भारत देश में व्यवस्था उत्तरोत्तर बिगड़ती जा रही है, यह तो एक अन्धा व्यक्ति भी देख सकता है। भारत की यह दुर्व्यवस्था स्वराज्य प्राप्ति के उपरान्त ही आरम्भ हुई है।
महात्मा गाँधी की हत्या के उपरान्त बाबू जयप्रकाश नारायण ने अपने कम्युनिस्ट साथियों के साथ सरदार पटेल के बंगले का घेरा डाल लिया था। यदि श्री जवाहर लाल नेहरू उनको मना न करते तो क्या होता, इसकी कल्पना ही की जा सकती है।
और उससे भी पूर्व वही गाँधी जी, जो यह कहने में संकोच नहीं करते थे कि वह सरकार नहीं हैं, पाकिस्तान को चव्वन करोड़ रुपये दिलवाने के लिए भूख हड़ताल कर बैठे थे।
और फिर पंडित नेहरू के सहयोगी श्री गाडगिल का आरोप है कि नेहरू मंत्री-मण्डल से पूछे बिना विदेशों में राजदूत भेजते थे। इसी प्रकार की दुर्व्यवस्था की अनेक बातें स्वराज्य मिलते ही कांग्रेस राज्य में होने लगी थीं। उस समय राष्ट्र और राज्य में अन्तर नहीं रहा था। वे सब प्रतिबन्ध जो अंग्रेजी सरकार ने युद्ध के दिनों में लगाये थे और जिनके विरुद्ध कांग्रेस गला फाड़-फाड़ कर चीख रही थी, स्वराज्य मिलने पर भी रहने दिये गए।
Additional information
Weight | 230 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 1 cm |
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