Shrimad Bhagwat Geeta
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यद्यपि भगवद्गीता पर अनेक भाष्य एवं टीकाएँ उपलब्ध हैं, तदपि इस भाष्य की आवश्यकता निम्न प्रयोजनवण अत्यधिक अनुभव हुई-
गीता का प्रवचन प्रयोजन विशेष से किया गया है। इसके उद्गाता यदुवंशी राजकुमार (वसुदेव के पुत्र) कृष्ण थे। यह प्रवचन भारतयुद्ध के आरम्भ में किया
गया था।
पांडुपुत्र अर्जुन वीर, साहसी और निष्ठावान होने पर भी युद्ध में परिवार के लोगों के मारे जाने के भय से वह युद्ध से उपराम हो गया था। अर्जुन को युद्ध की प्रेरणा देने के लिए ही श्रीकृष्ण को उपदेश देना पड़ा। उनका वह उपदेश ही गीता के नाम से विख्यात है।
पूर्ण प्रवचन किस प्रकार युद्धप्रेरक है, यह बताना ही इस भाष्य का एक प्रयोजन है।
वह सर्वमान्य है कि गीता का पूर्ण कथन उपनिपदादि शास्त्रों की शिक्षा पर आधारित है। श्रीकृष्ण ने स्वयं (१३-४ में) यह स्वीकार किया है कि जो कुछ भी इस प्रवचन में कहा है, वही वेदों में, ऋषियों ने वहुत प्रकार से गान किया है; और ब्रह्मसूत्रों में भी उसे युक्तियुक्त ढंग से स्पष्ट किया गया है। किन्तु कुछ भाष्यकारों ने गीता-प्रवचन के ऐसे अर्थ निकाले हैं, जो वेदादि शास्त्रों के विरोधी हैं। अतः हम गीता के भावों और अर्थों को लिखते समय वेद शास्त्रादि दर्शन-ग्रन्थों के प्रमाण प्रस्तुत करेंगे ।
Additional information
Weight | 370 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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