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Aadarsh Nitya Karm Vidhi

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Description

**वैदिक नित्य कर्म विधि** हिंदू धर्म में उन दैनिक कर्तव्यों और अनुष्ठानों को संदर्भित करता है जिन्हें वेदों और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों में निर्दिष्ट किया गया है। इन अनुष्ठानों को *नित्य कर्म* कहा जाता है, जो अनुयायियों द्वारा प्रतिदिन किए जाने अनिवार्य माने जाते हैं। इनका उद्देश्य मन को शुद्ध करना, आत्म-अनुशासन बनाए रखना और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रगति करना होता है।

### वैदिक नित्य कर्म विधि के मुख्य अंग

1. **संध्यावंदन** (संध्या वंदन):
संध्यावंदन नित्य कर्मों में सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। इसमें दिन के तीन समयों – प्रातःकाल, मध्याह्न और सायंकाल – में प्रार्थना और मंत्रों का जाप किया जाता है। इसमें गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य देव को अर्घ्य देना, और मनोबल को शुद्ध करने वाली प्रार्थनाएँ शामिल हैं।

2. **अग्निहोत्र**:
अग्निहोत्र एक वैदिक यज्ञ है जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किया जाता है। इस अनुष्ठान में विशेष मंत्रों का जाप करते हुए अग्नि में आहुति दी जाती है। इसे पर्यावरण की शुद्धि और स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है।

3. **जप और ध्यान**:
जप, जिसमें मंत्रों या ईश्वर के नामों का पुनरावृत्ति करना शामिल है (जैसे गायत्री मंत्र या इष्टदेव का मंत्र), नित्य कर्मों में आवश्यक मानी जाती है। ध्यान या *ध्यान* भी आंतरिक शांति और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

4. **ब्रह्म यज्ञ**:
इस अनुष्ठान में ऋषियों, पूर्वजों और देवताओं का आदर करते हुए प्रार्थनाएँ की जाती हैं। वैदिक ग्रंथों का अध्ययन और पठन भी ब्रह्म यज्ञ का एक हिस्सा माना जाता है, क्योंकि यह ज्ञान की परंपरा को सम्मानित करने का प्रतीक है।

5.**शुद्धि विधि**:
शुद्धि विधि जैसे आचमन (जल पान द्वारा स्वयं को शुद्ध करना), स्नान और पवित्रता व पावनता के मंत्रों का जाप करना भी नित्य कर्मों का आवश्यक अंग है, जिससे व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत शुद्धता के साथ कर सके।

 

 

नित्य कर्म का उद्देश्य

इन दैनिक अनुष्ठानों का उद्देश्य केवल एक परंपरा को पूरा करना नहीं है, बल्कि भक्त के भीतर ईश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा, कृतज्ञता और जागरूकता की भावना उत्पन्न करना है। नित्य कर्मों का अनुशासित अभ्यास करने से व्यक्ति *धर्म* के साथ समन्वय में रहता है और *मोक्ष* की ओर अग्रसर होता है।

हालांकि ये अनुष्ठान क्षेत्रीय परंपराओं, पारिवारिक मान्यताओं और व्यक्तिगत क्षमताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इनका मूल उद्देश्य समान होता है: व्यक्ति की चेतना को ऊँचा उठाना और दिव्यता से जुड़ाव बनाए रखना।

Additional information

Weight 275 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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