Abhigyan Shakuntalam Mahakavi Kalidasvirchitam
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Description
कालिदासः – जीवनं च काव्यशास्त्रं च
महाकवि कालिदास, भारतीय काव्यशास्त्र में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त किए हुए हैं। उनका जीवन और काव्य रचनाएँ, ज्ञान और अनुभव का एक समृद्ध amalgamation प्रस्तुत करती हैं। कहा जाता है कि कालिदास का जन्म एक छोटे से गाँव में हुआ था, परंतु उनकी प्रतिभा ने उन्हें सम्पूर्ण भारत में ख्याति दिलाई। अनेक किंवदंतियों के अनुसार, कालिदास के जीवन में उच्च शिक्षा का अभाव था, किंतु उनका काव्यशास्त्र और रचनाएँ इस बात को चुनौती देती हैं।
कालिदास के काव्य में अनुप्रास, अनुप्रयुक्तार्थ और भास्वत् चित्रण का खास स्थान है। उनकी रचनाओं में संवाददायिनीत्व की विशेषता देखी जा सकती है, जो पाठकों को गहराई से भावनाओं और संवेदनाओं से जोड़ती है। ‘शाकुंतलम्’, ‘मेघदूतम्’ और ‘कुमारसंभवम्’ जैसे काव्य ग्रंथ उनकी रचनात्मकता के अद्वितीय उदाहरण हैं। ये ग्रंथ न केवल काव्य के सौंदर्य को दर्शाते हैं, बल्कि कालिदास के जीवन के अनुभवों और दृष्टिकोण का भी परिचय देते हैं।
कालिदास के काव्य में प्रकृति का चित्रण विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है। वे अपने काव्य में प्राकृतिक तत्वों को एक गहन अर्थ प्रदान करते हैं। उनकी रचनाओं में भावनाओं और विचारों की गहराई, पाठक को एक अलग मानसिकता में ले जाती है। उनका लेखन भारतीय काव्यशास्त्र की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण अवयव है। कालिदास ने साहित्य में जो स्थान बनाया है, वह अविस्मरणीय है और उनके कार्य आज भी अध्ययन, अनुसंधान और प्रशंसा का विषय हैं।
अभिज्ञान शाकुंतलम् – कथा, पात्राणि च
अभिज्ञान शाकुंतलम् महाकवि कालिदासविरचितं एक प्रसिद्धं कार्यं अस्ति, यत्र नायिका शाकुंतला तथा राज्ञा दुष्यन्तेन तेषां प्रेमकथा विवृत्तं अस्ति। काव्यं भारतीय संस्कृतिमध्ये एक महत्वपूर्ण स्थानं गृहीतं अस्ति, यद्यपि तस्य शृंगारिक एवं नेत्रविभ्रमक तत्वाणि वर्तन्ते। शाकुंतलायाः कथा मूलतः रघुवंशस्य महाकाव्ये आधारितं अस्ति, यत्र राज्ञा दुष्यन्तेन तस्मिन् जातस्य प्रियंवदा शाकुंतलाम् एकस्मिन् वन्येषु समीपं प्रतिकृतिम् उपन्यासयन् अस्ति।
काव्ये प्रमुखं पात्रं शाकुंतला अस्ति, या एक अद्भुतं तत्वं युक्तं नायिका, विशेषतः तस्या जिवने विद्यमानां दिव्यत्वं सामाजिकत्त्वं च दर्षयति। दुष्यन्तः तस्य प्रतिपक्षं राजः, एक सजीवः व्यक्तित्वं, प्रतिभासेव्य विहितः अस्ति। तैः पात्राणां विषये विचारयन्तु, शाकुंतला एवं दुष्यन्तः मात्रं मुख्यपात्रं न सन्ति, किन्तु अन्याः पात्राणि अपि तृतीयं चतुर्थं तानां भूमिकायाः आवश्यकं कार्यं ददाति।
काव्यस्य प्रमुखप्रवृत्तयः तस्य प्रेमसम्बन्धस्य विभिन्नं दृश्यं दर्शयन्ति। शाकुंतलायाः हृदयपातिनी अवस्था, तस्य अद्भुतं प्रेमं च, न केवलं दुष्यन्तस्य वरदत्तं किन्तु सर्वेभ्यः अंशतः स्फुर्तिम् ददति। अतः अभिज्ञान शाकुंतलम् काव्यं केवलं एक प्रेमकथा न, किन्तु मानवसम्बन्धानां विविधताः च प्रदर्शयति। काव्ये विशेषतः संवेगाधीनं वाचनं च गूढ्वाकारणं दृष्यते, यत्र पात्राणां विचाराः एवं तेषां जिवितस्य गूढं संश्लेषणं कुर्वन्ति।
Additional information
Weight | 457 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 3 cm |
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