Achara Shiksha
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Description
डॉ. कपिल देव द्विवेदी का जीवन और व्यक्तित्व
डॉ. कपिल देव द्विवेदी का जन्म भारत के एक छोटे से गाँव में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपने शुरुआती वर्ष बिताए। उनका प्रारंभिक जीवन बेहद साधारण था, लेकिन वे हमेशा से ज्ञान के प्रति जिज्ञासु रहे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की, जिसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ समाज की आवश्यकताओं को समझा और भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान की रूपरेखा तैयार की।
डॉ. द्विवेदी की शिक्षा के दौरान, उन्होंने अपने समय के कई विद्वानों से संपर्क किया और उनके विचारों को आत्मसात किया। शिक्षा में उनके पहले करियर के चरण विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अध्यापन के रूप में शुरू हुए। वे अपने छात्रों के लिए एक प्रेरणास्रोत बने और उनकी शिक्षण शैली अद्वितीय थी, क्योंकि वे शिक्षण में व्यावहारिकता और सैद्धांतिक ज्ञान को जोड़ने पर जोर देते थे। उनके विचारों ने शिक्षा के विकास पर गहरा प्रभाव डाला, और यही से अचार शिक्षा के सिद्धांतों का प्रारंभ हुआ।
न केवल एक शिक्षक के रूप में, बल्कि एक सलाहकार और मार्गदर्शक के तौर पर भी, डॉ. द्विवेदी ने शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में कई प्रयास किए। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनुभ2
अचार शिक्षा का दृष्टिकोण और महत्व
अचार शिक्षा, जो नैतिकता और चरित्र विकास पर केंद्रित है, डॉ. कपिल देव द्विवेदी के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना, समर्पण और आत्म-अवबोधन की क्षमता को बढ़ाने का कार्य करती है। डॉ. द्विवेदी का मानना है कि शिक्षा का मूल उद्देश्य केवल ज्ञान का संचय नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में मानवता की भावना, नैतिक मूल्यों का संवर्द्धन और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने की क्षमता विकसित करना भी है। इसलिए, अचार शिक्षा को एक अनिवार्य प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए, जो युवा पीढ़ी को मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाने का कार्य करती है।
वर्तमान समय में, जब दुनिया में नैतिक मानदंडों की कमी हो रही है, अचार शिक्षा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह न केवल विद्यार्थियों को आत्म-नियंत्रण और आत्म-मूल्यांकन करने की शिक्षा देती है, बल्कि उन्हें सही और गलत की पहचान करने में भी मदद करती है। इसके माध्यम से, युवा पीढ़ी का ध्यान उन मूलभूत सिद्धांतों की ओर आकर्षित होता है, जो उन्हें एक अच्छे नागरिक बनने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने में सहायता करते हैं।
डॉ. द्विवेदी के योगदान से स्पष्ट होता है कि अचार शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यक्तित्व विकास नहीं है, बल्कि सामज में सुधार लाने के लिए प्रेरित करना भी है। जब विद्यार्थी अचार शिक्षा की गहराइयों को समझते हैं, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार, अचार शिक्षा को एक सक्षम उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, जो युवाओं को आज के चुनौतियों का सामना करने और एक नैतिक रूप से समृद्ध समाज में योगदान देने के लिए तैयार करता है।
Additional information
Weight | 200 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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