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Andhvishvasa Nirmulan

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Description

अंधविश्वास और अंधश्रद्धा के कारण जब मनुष्य की बुद्धि काम नहीं करती तो वह जो नहीं करना चाहिए वह सब-कुछ करता रहता है। क्या गलत है, क्या सही है उसे पता नहीं चलता और कभी-कभी उसे भ्रान्ति होने लगती है कि जो कुछ वह कर रहा है सही है। इसी भ्रान्ति में वह सदा दुःखी रहता है। अंधश्रद्धा और अंधविश्वास के कारण अनेक प्रकार के पाप कर बैठता है और पापकर्म का फल क्या हो सकता है- विद्वज्जन स्वयं समझ सकते हैं! देखादेखी में बिना सोचे-समझे जो भी कर्म होते हैं, उनका परिणाम प्रायः ठीक नहीं होता; कभी-कभी तो इतना बुरा होता है कि फिर पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचता।
परमपिता परमात्मा ने मनुष्य को बुद्धि प्रदान की है कि वह इसे इस्तेमाल करे और सत्यासत्य का निर्णय कर सके। शंका उत्पन्न होना मनुष्य होने का प्रमाण है, अतः स्वाध्याय करके, या आप्त पुरुषों के संग करके, शंकाओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। शंका के हटने पर ही श्रद्धा उत्पन्न होती है और श्रद्धा से ही प्रेम-रस का आनन्द मिलता है।
जहाँ अल्पज्ञता होती है वहाँ भ्रान्तियाँ भी होती हैं और श्रद्धा-प्रेम डगमगाता है। श्रद्धा-प्रेम न होने के कारण ही मनुष्य नास्तिक बन जाता है। ईश्वर के स्थान पर जड़- पाषाण की पूजा करना- अनहोनी बातों को मान लेना, चेतन को जड़ समझना और जड़ को चेतन मान लेना भी नास्तिकता है। ईश्वर को न मानना एक प्रकार की नास्तिकता है, परन्तु जड़-पाषाणों को मानना भी नास्तिकता का दूसरा रूप है। जहाँ भी भ्रान्ति हो, किसी विद्वान् से उसका निवारण कर लेना चाहिए या स्वयं स्वाध्याय कर उसका निवारण कर लेना चाहिए। ऐसा न हो कि यह अनमोल जीवन ऐसे ही व्यर्थ में बीत जाय और फिर इस चोले के लिए न जाने कितना इन्तजार करना पड़े।
ईश्वर न्यायकारी है, इसीलिए हर सृष्टि के प्रारम्भ में मनुष्य के लिए वेदामृत पिला देता है। वेद-ज्ञान से ही मनुष्य सत्यासत्य का निर्णय कर सकता है, क्योंकि वेद ईश्वरकृत होने से स्वतः प्रमाण है।
तस्माद् यज्ञात् सर्वहुतः ऋचः सामानि जज्ञिरे।
यजुर्वेद 31/7
हर युग में आप्त पुरुष आते-जाते रहते हैं, अतः ऋषिग्रन्थों का भी स्वाध्याय करना चाहिए। जो-जो ग्रन्थ वेद-विरुद्ध प्रतीत होते हैं उनको कतई मानना नहीं चाहिए। आज के युग में बाज़ारों में अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं। आर्ष और अनार्ष पुस्तकों में मिश्रण होने के कारण पता ही नहीं चलता कौन-सा ग्रन्थ ठीक है और कौन-सा ग्रन्थ गलत है। परिणामतः सब भटक रहे हैं सत्य की खोज में !
– मदन रहेजा

Additional information

Weight 282 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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