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Apastamba Dharama Sutra

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सूत्र साहित्य –
सूत्र साहित्य भारतीय वायय का एक अनूठा वर्ग है और इसकी अनोखी शैली ही इसकी विशेषता है। वैदिक साहित्य में सूत्रों का काल अध्ययन और चिन्तन की एक परम्परा का प्रतिनिधि है और भारतीय साहित्य में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। सूत्र साहित्य एक ऐसी श्रृङ्खला है जो वैदिक साहित्य को परवर्ती संस्कृत साहित्य से जोड़ती है। जैसा कि माक्स म्युक्लेर ने कहा है। इन सूत्रों को शैली का परिचय उसी व्यक्ति को मिल सकता है जिसने इन्हें समझने का प्रयत्न किया है और इनका शाब्दिक अनुवाद तो सम्भव हो ही नहीं सकता। सूत्र का अर्थ है धागा और सूत्रों में छोटे, चुस्त, अर्थगर्भित वाक्यों को मानों एक धागे में पिरोकर रखा जाता है। संचिप्तता इनकी विशेषता है। पश्चिमी विद्वानों ने इन सूत्रों की शैली पर बहुत आलोचनात्मक ढङ्ग से विचार किया है। प्रो० माक्स म्युल्लेर ने प्राचीन संस्कृत साहित्य का इतिहास नामक ग्रन्थ में सूत्र साहित्य के सन्दर्भ में लिखा है – “Every doctrine thus propounded, whether Grammar,
metre, law or philosophy, is reduced to a mere skeleton. All
the important points and joints of a system are laid open
with the greatest precision and clearness, but there is nothing
in these works like connection or development of ideas.”
(Page 37).
कोलेब्रूक ने भी इसी प्रकार का विचार व्यक्त किया है-
“Every apparent simplicity of design vanishes in the per- plexity of the structure. The endless pursuit of exceptions and limitations so disjoins the general precepts, that the reader cannot keep in view their intended connection and mutual relation. He wonders in an intricate maze, and the clue to the labyrinth is continually slipping from his hands.”
सूत्र रचनाओं में अनेक शताब्दियों के ज्ञान का भण्डार एकत्र किया गया है। वे शताब्दियों के चिन्तन, मनन और अध्ययन के परिणाम हैं और उन्हें जो रूप प्राप्त हुआ है वह भी अनेक शताब्दियों की अनवरत परम्परा का परिणाम है। धर्मसूत्रों को श्रुति के अन्तर्गत नहीं माना जाता है, जैसा कि इसके पूर्ववर्ती साहित्य-संहिता और ब्राह्मण को माना जाता है। इस प्रकार

Additional information

Weight 456 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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