Arab Mein Saat Saal
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Description
आर्यसमाज में अनेक ऐसे उपदेशक प्रचारक हुए हैं जिन्होंने कष्टों की परवाह न करते हुए देश-विदेश में आर्यत्व का प्रचार किया है। उनमें से एक प्रचारक थे- श्री रुचिराम जी आर्योपदेशक। श्री रुचिराम जी ने आर्यत्व की भावना से ओतप्रोत होकर विदेश में प्रचार करने का निश्चय किया और उस निश्चय को पूरा भी किया। पाठक जानते हैं कि अरब देश मुसलमानों से आवासित देश हैं जो प्रायः धर्मान्ध होते हैं। उनमें दूसरे किसी धर्म का प्रचार कार्य करना जान हथेली पर लेकर चलना है। ऊपर से वहां का भौगोलिक वातावरण असुविधा और कष्टपूर्ण रहा है। ऐसी आपत्तिपूर्ण और कष्टभरी परिस्थितियां होते हुए भी श्री रुचिराम जी ने वहां की भूमि पर प्रचार कार्य किया। ऐसे ही दीवाने प्रचारकों के लिए किसी कवि ने ये पंक्तियां लिखी थीं- आयेंगे खत अरब से उनमें लिखा ये होगा। गुरुकुल का ब्रह्मचारी हलचल मचा रहा है। श्री रुचिराम से गुरुकुल के ब्रह्मचारी भले ही न रहे हों, किन्तु गुरुकुल-परम्परा के संस्थापक आचार्य दयानन्द सरस्वती के तो शिष्य थे ही। यह पुस्तक जहां श्री रुचिराम जी के अथक परिश्रम की हमें जानकारी देगी वहीं भावी उपदेशकों का मार्गदर्शन भी करेगी।
Additional information
| Weight | 241 g |
|---|---|
| Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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