Asvalayana Grhya Sutram
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आश्वलायनगृह्यसूत्र
गार्ग्यनारायणकृतवृत्ति सहितं-सविमर्श ‘शशिप्रभा’ हिन्दी व्याख्योपेतम्
व्याख्याकार एवं सम्पादक : डॉ. जमुना पाठक
गृह्यसूत्र भारतीय संस्कृति के नियामक ग्रन्थ हैं। इनका भारतीय जीवन को परिष्कृत, नियमित और व्यवस्थित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। धर्मसूत्र में मनुष्य के सामाजिक, राजनीतिक इत्यादि से सम्बन्धित कर्त्तव्यों को निर्दिष्ट किया गया है। वहीं गृह्यसूत्र में भारतीय संस्कृति का विशुद्ध रूप दिखलायी पड़ता है। गृह्यसूत्र भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं। संस्कृत भाषा में गृह्यसूत्रों की व्याख्याओं के होने के कारण हिन्दी माध्यम के वेदाध्यायियों हेतु इनका सम्यगवबोध श्रमसाध्य है। इसी अभाव की पूर्ति के लिए इन तीनों गृह्यसूत्रों को हिन्दी भाषा में व्याख्या के साथ प्रकाशित करने की योजना है। इस कड़ी में यह आश्वलायनगृह्यसूत्र का इदम्प्रथमतया हिन्दी भाषा में व्याख्या के साथ प्रथम संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें आश्वलायनगृह्यसूत्र के सूत्रों, उनकी हिन्दी और गार्ग्यनारायणकृत वृत्ति समायोजित है। बीच- बीच में स्थल-स्थल पर विमर्श भी संयोजित किया गया है जिसमें सूत्र में प्रतिपादित तथ्यों का स्पष्टीकरण और गृह्यसूत्र में सङ्केत के रूप में उद्धृत की गयी ऋचाओं और उसकी हिन्दी को दिया गया है। गृह्यसूत्र में प्रयुक्त अन्य मन्त्रों की भी हिन्दी दी गयी है।
450.00
Additional information
Weight | 620 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 5 cm |
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