Bhai Rajiv Dikshit Dwara Pracharit Rogi Swayam chikitsak Vol 1-2
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Description
“आयुर्वेद”… वही आयुर्वेद जो सनातन है- शाश्वत है। वही आयुर्वेद जो मात्र चिकित्सा न होकर जीवन का विज्ञान है। वही आयुर्वेद जो वेदो का अमर मंत्र है। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि आज हमें आयुर्वेद के मार्गदर्शन की आवश्यकता क्यूँ पड़ी…? आज तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण ने विकास को एक नया स्वरूप दिया है। इससे लोगों के रहने का अन्दाज तथा आस-पास का परिवेश बदला है। बहुत से लोगों को यह परिवेश सुखकर प्रतीत होता है लेकिन क्या यह वास्तविकता है, यह विचारणीय है। जहाँ पहले हरियाली बिछी रहती थी वहाँ आज गगनचुंबी इमारते खड़ी हैं। जिस वातावरण में पक्षियों की चहचहाहट मधुर संगीत का आभास देती थी, वही वातावरण आज पक्षियों को भयभीत कर रहा है। आज गौरैया न जाने कहाँ गुम हो गई, कौवों की काँव-काँव भी अब कभी कभार ही सुनाई देती है। शहरों के अनियंत्रित विकास से खेती की सीमाऐं सिमट चुकी हैं। आज आदमी दिन और रात का फर्क भूलता जा रहा है। इस भागम भाग में हर कोई सुख की मंजिल पैसे की राह से पाना चाहता है। पैसा कमाने की होड़ ने खान-पान में इस हद तक बदलाव कर दिया है कि हम अपने स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों को भूलते जा रहे हैं। आज बाजार में फटाफट बनने वाले व्यंजनों की बाढ़ भी आ गई है। हम जानते हैं कि इन सबसे हमारी सेहत बनेगी नहीं बिगड़ेगी फिर भी जमाने के साथ चलने का जुनून हमें इनसे दूर जाने नहीं देता। आज यदि अपने देश की बात करें तो तेजी से बदलती इस जीवन शैली ने आम भारतीयों की भारतीयता मानों छीन सी ली है। इस आधुनिकीकरण ने सभी को ऐसी जिन्दगी जीने को मजबूर कर दिया है जहाँ रोग ही रोग हैं। भारत की इस वर्तमान दशा और दिशा पर जो भी सर्वेक्षण हुए हैं वे सभी बेहद चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार बिगड़ी जीवन शैली के फलस्वरूप आने वाले समय में रोग इस कदर बढ़ जायेंगे कि संक्रामक रोग (महामारी) भी जिनके सामने बौने लगेंगे। खान-पान का बिगड़ा स्वरूप कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, थायराइड,
Additional information
Weight | 300 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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