Bharat Ka Samvidhan
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“संविधान चाहे कितना ही अच्छा हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं हो तो संविधान जरूर बुरा साबित होगा और यदि लागू करने वाले लोग अच्छे होंगे तो संविधान भी हितकारी साबित होगा।”
“26 जनवरी 1950 को संविधान लागू करके यह देश स्वतंत्र होगा लेकिन इसकी स्वतंत्रता का आगे क्या होगा ? एक समय यह देश स्वतंत्र था। भारत की स्वतंत्रता खत्म हुई थी इसका मुझे दुख है लेकिन अपने ही लोगों के विश्वासघात से हम स्वतंत्रता खो बैठे, इसका मुझे अधिक दुख है। क्या इतिहास फिर अपने को दोहरायेगा। इस विचार से मुझे देश के भविष्य की चिंता हो रही है। हमें अपने रक्त की अंतिम बूंद बहाकर भी आजादी की रक्षा करनी चाहिए। यदि हम लोकतंत्र की स्थापना करना चाहते है तो अपने सामाजिक व आर्थिक उद्देश्य संवैधानिक रास्ते से ही प्राप्त करने चाहिए, हिंसात्मक मार्ग से नहीं, क्योंकि संविधान से बाहर का मार्ग केवल अराजकता की ओर ही ले जाएगा।”
“26 जनवरी 1950 से हम विषमताओं के जीवन में प्रवेश करने जा रहे है। राजनीति में हमें समानता का हक होगा लेकिन सामाजिक व आर्थिक जीवन में विषमता यानी असमानता बनी ही रहेगी। राजनीति में हम एक व्यक्ति, एक वोट और एक मूल्य को मान्यता देंगे लेकिन हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे के कारण हम सामाजिक और आर्थिक जीवन में एक वोट, एक मूल्य के सिद्धांत को नकारेंगे। आखिर कब तक हम सामाजिक और आर्थिक जीवन में समानता को अस्वीकार करते रहेंगे? यदि हम लंबे समय तक इसे नकारते रहेंगे तो हम हमारे राजनीतिक लोकतंत्र को भी खतरे में डालेंगे। हमें इन विषमताओं को जितना जल्दी हो सके समाप्त कर देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो जो लोग भेदभाव, शोषण व विषमताओं के बुरी तरह से शिकार है, वे राजनीतिक लोकतंत्र की उस व्यवस्था को ही जलाकर राख कर देंगे जिसे इस संविधान सभा ने कड़ी मेहनत से बनाया है।”
“हमारे अन्दर भाईचारे के भाव की भारी कमी है। जिस जातिभेद के कारण हमारे सामाजिक जीवन में अलग-अलग गुट बन गए है, उस जात-पांत के जातिभेद को मिटाकर हम भारतीय सामाजिक व मानसिक रूप में एक नया राष्ट्र बनाएं। जातियां राष्ट्र विरोधी है, क्योंकि ये हमारे सामाजिक जीवन में अलगाव, ईर्ष्या और घृणा पैदा करती है। हजारों जातियों में बंटे हुए लोग भला एक राष्ट्र कैसे हो सकते है? इसलिए यदि हम सच्चे अर्थो में राष्ट्र बनाना चाहते है तो हमें इन बाधाओं पर विजय पाना होगा।”
“भारत के लोकतंत्र को एक अन्य बात से खतरा है वह नायक पूजा (Hero Worship) इस देश की राजनीति में जितनी भक्ति और नायक पूजा है उतनी अन्य किसी देश में नही है। राजनीति में नायक पूजा पतन की ओर धकेलती है और अंत में तानाशाही की ओर ले जाएगी, यह तय है।”
Additional information
Weight | 370 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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