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Bharat Ki Avanati Ke Sat Karan

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Description

एक समय था, भारत विश्वगुरु था, संसार का शिरमौर था, सोने की चिड़िया था। सारे संसार के लोग भारत के ऋषि-मुनियों के चरणों में बैठकर ज्ञान-विज्ञान की और चरित्र की शिक्षा लिया करते थे, परन्तु वह भारत पतन के गर्त में गिर गया। इस पुस्तक में भारत के पतन के प्रमुख कारणों का तर्कपूर्ण, तथ्यात्मक, प्रमाणयुक्त विवेचन किया गया है। भारत को प्राचीन गौरवपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित करना है तो इन कारणों का उन्मूलन करना होगा। पुस्तक का ध्यानपूर्वक अवलोकन कीजिए, चिन्तन और मनन कीजिए, अन्धविश्वासों, पाखण्डों, कदाचारों को छोड़िए। मूर्त्तिपूजा करना, क़ब्रों पर मत्था रगड़ना और चादरें चढ़ाना बन्द करो। ईश्वर अवतार नहीं लेता, अपना उद्धार करने के लिए स्वयं लङ्गर-लङ्गोटे कसकर खड़े हो जाइए। अपना उद्धार करने का आपमें पूर्ण सामर्थ्य है। अपनी शक्तियों को पहचानिए और उन्हें जाग्रत् कीजिए। फलित ज्योतिष पाखण्ड है, इसे तिलाञ्जलि दीजिए। स्मरण रखिए – Man is his own star. मनुष्य स्वयं अपना देदीप्यमान नक्षत्र है। अपनी मातृभूमि के गौरव को समझें- जिसकी रज में लोट-पोटकर बड़े हुए हैं। घुटनों के बल सरक-सरककर खड़े हुए हैं ।॥ ऐसी मातृभूमि के उत्थान में हम अपना सर्वस्व वार दें।

Additional information

Weight 136 g
Dimensions 18 × 12 × 1 cm

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