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Bhumika Bhaskar

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Description

महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने वेदभाय निर्माण से पूर्व एक विस्तृत भूमिका की रचना की जिसमें अपने वेदभाग्य के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया। इस ग्रन्थ में ऋषि ने अपने सभी वेदविषयक सिद्धान्तों का विशद निरूपण किया है। इसमें लगभग पैंतीस शीर्षकों के अन्दर वेद के प्रमुख प्रतिपाद्य पर प्रभूत प्रकाश डाला गया है जिन में से आगे लिखे विषय विशेष उल्लेखनीय है वेदोपनि वेदनित्यत्व, वेदविषय, वेदसंज्ञा, ब्रह्मविद्या, वेदोकधर्म, सृष्टिविद्या, पृथिवी आदि का भ्रमण, गणित, मुक्ति, पुनर्जन्म, वर्णाश्रम, पञ्चमहायज्ञ, ग्रन्थप्रामाण्य, वेद के ऋषि देवता छन्द अलंकार व्याकरण | स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के संन्यासी विद्वर्ग में अग्रगण्य थे। उनकी लेखनी में ओज तथा प्रवाह था, प्रतिभा के धनी और योजनाबद्ध लेखन कार्य करने की प्रवृत्ति से पूरिपूर्ण थे। उन्होंने ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा को सुझाव दिया था कि वह मेलों का आयोजन न करके ऋषि के ग्रन्थों के उक्त वचनों का स्पष्टीकरण और विशद व्याख्याएँ तैयार कराकर प्रकाशित करे, परन्तु उनकी बात पर सभा ने ध्यान नहीं दिया। अन्तत: उन्होंने स्वयं इस कार्य को करने का संकल्प किया और चौदह आर्य विद्वानों के सहयोग से ‘भूमिकाभास्कर’ की संरचना की । स्वामी विद्यानन्द सरस्वती के अन्य ग्रन्थों की भाँति इस ग्रन्थ का प्राक्कथन इण्टरनेशनल आर्यन फाउण्डेशन की ओर से हुआ था, परन्तु विक्रय आदि की व्यवस्था रामलाल कपूर ट्रस्ट ही करता था। अब इस ग्रन्थ का पूर्व संस्करण समाप्त हो गया है। स्वामी जी भी स्वर्गवासी हो चुके हैं। स्वर्गवास से पूर्व उन्होंने अपने सभी ग्रन्थों के प्रकाशन का अधिकार रामलाल कपूर ट्रस्ट को दे दिया था। अतः इस पुस्तक के प्रथम भाग का पुनः प्रकाशन किया जा रहा है। पुस्तक अपनी नई साज सज्जा, उत्तम-अक्षर-संयोजन बढ़िया कागज और सुदृढ़ जिल्द के साथ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है। हमें विश्वास है, हमारे पाठक इस पुस्तक का स्वागत करेंगे और हमें सहयोग प्रदान करेंगे।

Additional information

Weight 2500 g
Dimensions 28 × 19 × 10 cm

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