Brahmachary Duhkh Nivarak Divy Mani
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वेदों में मानव जीवन को 4 अंगों में दर्शाया गया है जो कि ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संयास आश्रम हैं। ब्रह्मचर्य प्रथम आश्रम है जो कि अन्य तीनों आश्रमों की नींव है। स्वामी जी ने “ब्रह्मचर्य दुःख निवारक दिव्य मणि” पुस्तक में ब्रह्मचर्य का ज्ञान समाज को देने के लिए वेदों, सदग्रन्थों ग्रंथों एवं पुरातन काल के ऋषि-मुनियों के ब्रह्मचर्य जीवन का वर्णन किया है और मानव जाति को ब्रह्मचर्य को आचरण में लाने के लिए अति उत्तम आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिसका हमें अधययन-मनन करके उसे आचरण में लाने का सर्वथा प्रयास करना चाहिए जिससे हमारा समाज एवं देश सुदृढ़ होगा तथा सामाजिक बुराइयों एवं विषय विकारों से छुटकारा मिलेगा एवं भौतिक सुख, आत्मिक शांति तथा मार्ग मार्ग प्रशस्त होगा।
Description
वेदों में मानव जीवन को 4 अंगों में दर्शाया गया है जो कि ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संयास आश्रम हैं। ब्रह्मचर्य प्रथम आश्रम है जो कि अन्य तीनों आश्रमों की नींव है। स्वामी जी ने “ब्रह्मचर्य दुःख निवारक दिव्य मणि” पुस्तक में ब्रह्मचर्य का ज्ञान समाज को देने के लिए वेदों, सदग्रन्थों ग्रंथों एवं पुरातन काल के ऋषि-मुनियों के ब्रह्मचर्य जीवन का वर्णन किया है और मानव जाति को ब्रह्मचर्य को आचरण में लाने के लिए अति उत्तम आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिसका हमें अधययन-मनन करके उसे आचरण में लाने का सर्वथा प्रयास करना चाहिए जिससे हमारा समाज एवं देश सुदृढ़ होगा तथा सामाजिक बुराइयों एवं विषय विकारों से छुटकारा मिलेगा एवं भौतिक सुख, आत्मिक शांति तथा मार्ग मार्ग प्रशस्त होगा।
Additional information
Weight | 429 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 2 cm |
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