Brahmcharya Ke Sadhan Swami Omanand Saraswati
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Description
ब्रह्मचर्य का अर्थ और महत्व
ब्रह्मचर्य एक Sanskrit शब्द है, जिसमें ‘ब्रह्म’ का अर्थ है ‘सत्य’, ‘विज्ञान’ या ‘आध्यात्मिकता’, और ‘चर्य’ का अर्थ है ‘आचरण’ या ‘व्यवहार’। इस प्रकार, ब्रह्मचर्य का समग्र अर्थ है ‘सत्य का आचरण’ या ‘आध्यात्मिक जीवनशैली का पालन करना’। इसे अक्सर केवल यौन संयम से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका अर्थ कहीं अधिक गहरा और विस्तृत है। ब्रह्मचर्य एक समग्र जीवनशैली है, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक तथा आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है। यह एक ऐसी साधना है, जिसके माध्यम से व्यक्ति खुद को अंततः अपने उच्च आत्मा से जोड़ता है।
ब्रह्मचर्य के महत्व को समझने के लिए विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोणों पर ध्यान दिया जा सकता है। हिन्दू धर्म में, ब्रह्मचर्य को एक अत्यंत महत्वपूर्ण आचार संहिता के रूप में देखा गया है, जो छात्रों का सही अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित करता है। बौद्ध परंपरा में भी, ब्रह्मचर्य का महत्व अनुशासन और ध्यान अभ्यास के संदर्भ में अद्वितीय है। यह दृष्टिकोण यह सिखाता है कि कैसे अपने इंद्रियों को नियंत्रित करके मन को शांति और संतुलन में लाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात पर प्रकाश डाला है कि ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य, समय प्रबंधन और उत्कृष्टता की भावना को लेकर एक महत्वपूर्ण रास्ता है। व्यक्ति अपने उद्देश्यों का पालन करते हुए आत्म-नियंत्रण और मानसिक स्पष्टता को विकसित कर सकता है। इस प्रकार, ब्रह्मचर्य एक साधना है जो मानसिक संतुलन, भावनात्मक स्थिरता और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करती है।
ब्रह्मचर्य का लाभ
ब्रह्मचर्य, एक प्राचीन भारतीय सिद्धांत, जीवन के अनेक पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसका मुख्य लाभ शारीरिक स्वास्थ्य में परिलक्षित होता है। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। जब व्यक्ति संयम का पालन करता है, तो यह न केवल शारीरिक गतिविधियों को सक्रिय बनाता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाता है। शरीर में उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा का सही उपयोग करना, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए आवश्यक है।
मानसिक संतुलन भी ब्रह्मचर्य के प्रमुख लाभों में से एक है। जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं पर नियंत्रण रखता है, तो मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक सिद्ध होता है। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्यक्ति अपने विचारों को बेहतर दिशा में भत्ता सकता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता भी मजबूत होती है। इसका अर्थ है कि ब्रह्मचर्य व्यक्ति को एक स्थिर मानसिक स्थिति में रखने में मदद करता है, जिससे वह जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकता है।
आध्यात्मिक उन्नति भी ब्रह्मचर्य का एक अहम पहलू है। जब व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है, तो वह अपने भीतर की गहरे आत्मा के साथ जुड़ता है। यह ध्यान और साधना के अभ्यास को कठिनाइयों के बिना संभव बनाता है। ब्रह्मचर्य के द्वारा व्यक्ति जीवन के उद्देश्य और मार्ग को समझने में सक्षम हो जाता है। इसका परिणाम स्व-साक्षात्कार और उच्च चेतना की ओर अग्रसर होना है। इससे व्यक्ति अपनी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को प्राप्त करने में समर्थ बनता है, क्योंकि वह एकाग्रता और समर्पण के साथ कार्य कर सकता है।
ब्रह्मचर्य का अभ्यास कैसे करें
ब्रह्मचर्य का अभ्यास एक प्रेरणादायक और संतुलित जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत ऊर्जा को सही दिशा में लगाना और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देना है। इसके लिए कई प्रभावी विधियाँ हैं जो व्यक्ति के जीवन में अद्वितीय परिवर्तन ला सकती हैं। सबसे पहले, ध्यान एक महत्वपूर्ण साधना है। ध्यान में बैठकर, व्यक्ति अपनी आंतरिक सोच और भावनाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। यह न केवल मानसिक शांति लाता है, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह को भी संतुलित करता है। नियमित ध्यान से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जो ब्रह्मचर्य के अभ्यास में महत्वपूर्ण है।
दूसरी विधि शारीरिक व्यायाम है। योग, प्राणायाम, और अन्य शारीरिक गतिविधियाँ व्यक्ति को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती हैं, बल्कि यह मानसिक संतुलन भी बनाए रखती हैं। योग के विभिन्न आसनों और प्राणायाम से शारीरिक ऊर्जा का संचय होता है, जो ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों में सहायक होता है। इन अभ्यासों को दैनिक जीवन में शामिल करना आवश्यक है ताकि व्यक्ति अपने लक्ष्य और उद्देश्य के प्रति दृढ़ रहे।
इसके अलावा, साधना का अभ्यास भी ब्रह्मचर्य की एक महत्वपूर्ण शैली है। साधना के माध्यम से व्यक्ति अपने मन के विकारों को कम कर सकता है। यह तय करने के लिए निर्धारित समय निकालने की आवश्यकता होती है, जिसमें व्यक्ति पूर्ण ध्यान और समर्पण के साथ साधना करें। इस प्रकार, ब्रह्मचर्य का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास का भी साधन है। सही तरीके से इन विधियों को अपनाने से व्यक्ति अपने जीवन में गहरी साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है।
ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन
ब्रह्मचर्य, अर्थात् संयम एवं आत्म-नियंत्रण, मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक समाज में, जहां भौतिक सुख-सुविधाएं और तात्कालिक संतोष मुख्य उद्देश्य बन गए हैं, ब्रह्मचर्य के मूल्य की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। माता-पिता, शिक्षकों और युवाओं के दृष्टिकोण से देखें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि ब्रह्मचर्य एक सक्षम और संतुलित जीवन के लिए आवश्यक है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास में मदद करता है, बल्कि समाज में समग्र कल्याण का भी संवर्धन करता है। माता-पिता अपने बच्चों को संयमित जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि शिक्षक अपने पाठ्यक्रम में ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों का समावेश करते हैं। इन दृष्टिकोणों से, युवाओं को सिखाया जाता है कि कैसे उनका दृष्टिकोण और व्यवहार आधुनिक जीवन में अचानक बदलाव कर सकते हैं।
हालांकि, आज के समय में ब्रह्मचर्य का पालन करना एक चुनौती बन गया है। आंतरजाल की स्थिति, सामाजिक मीडिया की सक्रियता, और अति-उपभोग की संस्कृति, सभी मिलकर ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों को कमजोर कर रहे हैं। इन विघ्नों का सामना करने के लिए आवश्यक है कि युवा लोग जानें कि कैसे अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना है। प्रारंभिक प्रशिक्षण, परिवार का सहयोग, और सही शिक्षा प्रणाली का होना, इन सभी तत्वों से ब्रह्मचर्य की भावना को सुदृढ़ किया जा सकता है। यदि युवक और युवतियां अपने जीवन में संतुलन बनाना चाहें, तो उन्हें संयम एवं ब्रह्मचर्य के सूत्रों को अपनाना चाहिए।
समाज में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करने की आवश्यकता है, जो ब्रह्मचर्य के मूल्य को बनाए रखने में सहायक हो। सांस्कृतिक कार्यक्रम, कार्यशालाएँ, और सामुदायिक संचालनों के माध्यम से युवाओं को ब्रह्मचर्य की महत्ता समझाई जा सकती है। इस तरह हम एक सशक्त और जागरूक पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन को सफल बनाएगी, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जाएगी।
ब्रह्मचर्य के संबंध में भ्रांति और वास्तविकता
ब्रह्मचर्य के विषय में कई भ्रांतियाँ प्रचलित हैं, जो अक्सर इसे नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करती हैं। कई लोग इसे केवल यौन संयम के रूप में समझते हैं, मानते हुए कि इसका वास्तविक अर्थ केवल इच्छाओं का दमन और स्वच्छंदता से बचना है। जबकि यह एक बहुत व्यापक और गहन सिद्धांत है, जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को समुचित रूप से संतुलित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इसके पीछे की सच्चाई यह है कि ब्रह्मचर्य संयम और ध्यान की एक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं को समझने का प्रयास करता है। यह अनुशासन व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति सजग बनाता है और उन्हें आत्मिक समृद्धि प्राप्त करने में सहायता करता है। ब्रह्मचर्य केवल संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण के आधार पर, व्यक्ति जीवन में संतुलन और खुशी प्राप्त कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, कई लोग इसे एक पुरातन नियम मानते हैं, जबकि यह समय के साथ विकसित हुआ है। आधुनिक समाज में भी ब्रह्मचर्य के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जा रही है, जैसे कि मानसिक शांति, ध्यान और व्यक्तिगत विकास। यह स्पष्ट है कि ब्रह्मचर्य एक जीवनशैली है, जो न केवल अनुशासन प्रदान करता है, बल्कि आत्म-आधारिता और सकारात्मकता का आदान-प्रदान करता है।
अतः, यह कहना उचित होगा कि ब्रह्मचर्य के बारे में धारणा केवल नकारात्मक नहीं है, बल्कि इसके वास्तविक पहलू जीवन को बेहतर बनाने की ओर अग्रसर हैं। सही समझ और दृष्टिकोण के साथ, ब्रह्मचर्य को एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में अपनाया जा सकता है।
Additional information
Weight | 497 g |
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Dimensions | 15 × 13 × 3 cm |
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