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Charitrabodh

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वैदिक जीवन पद्धति में वेदादि ऋषिकृत ग्रन्थों के स्वाध्याय का विधान किया गया है। किसी भी आश्रम में हों, किसी भी कार्य को क्यों न कर रहे हों, प्रतिदिन स्वाध्याय को अपरिहार्य (स्वाध्यायान्मा प्रमदितव्यम्) रूप में बताया गया है; क्योंकि स्वाध्याय करने से व्यक्ति प्रामाणिक हो जाता है, विहित, निषिद्ध कर्मों का परिज्ञान होने से मन, वाणी, शरीर से उत्तम कर्मों को ही करता है, पापयुक्त कर्मों को छोड़ देता है और दुःख, भय, चिन्ता, शोक, अपयश से बच जाता है।
ऋषियों के ग्रन्थों का स्वाध्याय करना ऐसा ही है जैसे समुद्र में एक गोता लगाना और बहुमूल्य मोतियों का पाना। सत्यार्थप्रकाश एक ऐसा समुद्र है जिसमें किसी भी पृष्ठ की, किसी भी पंक्ति को पढ़ें तो अध्येता को तत्काल ज्ञान के प्रकाश की अनुभूति होती है।
सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आदि ऋषिकृत ग्रन्थ अध्यात्म, धर्म, नीति, आचार, विचार आदि का विश्वकोश ‘Encyclopedia’ है। हजारों ग्रन्थों का सार है पुनरपि 400-500 पृष्ठ का ग्रन्थ बन गया है। जिसे आज आद्योपान्त पढ़ने की हिम्मत किसी-किसी संस्कारी व्यक्ति की होती है।
एक तो विशाल ग्रन्थ, दूसरे संस्कृत निष्ठ प्राचीन हिन्दी भाषा का प्रयोग पढ़ने में सामान्य व्यक्ति की रुचि नहीं होती है। थोड़े से पृष्ठों को पढ़कर अध्येता समझ में न आने के कारण उसे छोड़ देता है। प्रायः लोगों से सुना है कि उन्होंने अनेक बार सत्यार्थप्रकाश आदि ऋषिकृत ग्रन्थों का स्वाध्याय करना प्रारम्भ किया किन्तु समझ में न आने के कारण उसे छोड़ दिया।
इस समस्या का समाधान यह ग्रन्थ है। स्वामी ध्रुवदेव जी ने ऋषिकृत ग्रन्थों के महत्त्वपूर्ण विषयों के लगभग 300 शीर्षक बनाकर उससे सम्बन्धित वाक्यों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है। प्रस्ताव की विषयानुक्रमणिका को देखते ही पाठक की पुस्तक को पढ़ने की रुचि उत्पन्न हो जाती है।
50 वर्ष पूर्व इस प्रकार की पुस्तकों का प्रकाशन हुआ था। किन्तु पिछले अनेक वर्षों से ऐसी छोटी, आकर्षक, रुचिकर पुस्तकों का अभाव अनुभव किया जा रहा था, जिसकी पूर्ति इस पुस्तक के प्रकाशन से होगी। विषय वही है किन्तु प्रस्तुतिकरण प्रभावशाली होने के कारण निश्चित ही यह पुस्तिका नवीन लोगों के लिए आकर्षण का कारण बनेगी और अनायास ही लोग वैदिक वाङ्मय के सिद्धान्तों का परिज्ञान प्राप्त करेंगे ऐसा मुझे विश्वास है। अधिकाधिक इस पुस्तक का प्रचार प्रसार हो और लोग सत्यासत्य के प्रामाणिक ज्ञान से युक्त होवें।

Additional information

Weight 300 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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