complete 8 volume set of veda in hindi and sanskrit
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ऋग्वेद
“संसार के पुस्तकालय में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है”, इस बात को सभी पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया है। भारत की धार्मिक परम्परा परम् चारों वेदों को परमात्मा का अनादि ज्ञान मानती है जो सृष्टि के आरम्भ में मानव जाति के हितार्थ ऋषियों के माध्यम से दिया गया था। ऋग्वेद का प्रकाश अग्नि ऋषि के हृदय में हुआ था।
ऋग्वेद की महिमा का वर्णन करते हुए मैक्समूलर ने कहा-जब तक पृथिवी पर पर्वत और नदियाँ रहेंगी तब तक संसार के मनुष्यों में ऋग्वेद की कीर्ति का प्रचार रहेगा।
ऋग्वेद विज्ञान वेद है। इस में तृण से लेकर ईश्वरपर्यन्त सब पदार्थों का विज्ञान भरा हुआ है। प्रकृति क्या है? जीव क्य है? जीव का उद्देश्य क्या है और उस लक्ष्य प्राप्ति के साधन क्या हैं? ईश्वर का स्वरूप क्या है? उसकी प्राप्ति क्यों आवश्यक है और वह किस प्रकार हो सकती है? इत्यादि सभी बातों का वर्णन ऋग्वेद में मिलेगा।
ऋग्वेद में दर्शन, तत्त्वज्ञान तथा आचार एवं नीति विषयक मन्त्रों का बाहुल्य है। ऋक् का अर्थ है-जिससे स्तुति की जाये। अतः स्तुतिपरक मन्त्रों का समुदाय ही ऋग्वेद है। ऋग्वेद के सूक्तों में प्रमुख रूप से श्रद्धा एवं भक्ति द्वारा स्वतन किया गया है इसलिए इसके विषय को प्रमुख रूप से धार्मिक तथा आध्यात्मिक कहा जा सकता है।
ऋग्वेद के दो ब्राह्मण हैं ‘ऐतरेय ‘और ‘कौषीतकी’। इसका उपवेद आयुर्वेद है।
महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद का भाष्य करना प्रारम्भ किया था, परन्तु वह पूर्ण न हो सका। स्वामी जी सातवें मण्डल के 61 वें सूक्त के दूसरे मन्त्र तक ही भाष्य कर पाये। आगे का भाष्य उन्हीं की शैली में अन्य वैदिक विद्वानों ने पूर्ण किया।
यजुर्वेद
यजुर्वेद का विषय केवल कर्मकाण्ड ही नहीं है, बल्कि इसमें वर्णित हैं अध्यात्म एवं दर्शन, सृष्टि-रचना तथा मोक्ष, नैतिक तथा आचारमूलक शिक्षाएँ, मनोविज्ञान, बुद्धिवाद, समाज-दर्शन, राष्ट्र-भावना, पर्यावरण का संरक्षण आदि। काव्य तत्व के अतिरिक्त यजुर्वेद में विद्यमान है, विश्वमानव की एकता जैसे उपयोगी विषय ।
सामवेद
सामवेद का यह भाष्य महर्षि दयानन्द की शैली, संस्कृत और आर्य भाषा-हिन्दी में उनकी विचारसरणी पर किया गया है।
सामवेद उपासना का वेद है। यह हृदय का वेद है। उपासना क्यों करें? किसकी उपासना करें? कहाँ करें? कैसे करें? इन सभी प्रश्नों का उत्तर सामवेद में मिलेगा। परमात्मा को ढूँढ़ने के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं हैं। वह तो हमारे हृदय-मन्दिर में ही विद्यमान् है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के साधनों की कुन्जी है। जीवन एक सतत् संग्राम है। अथर्ववेद जीवन-संग्राम में सफलता प्राप्त करने के उपाय बताता है।
अथर्ववेद युद्ध और शान्ति का वेद है। शरीर में शान्ति किस प्रकार रहे, उसके लिए नाना प्रकार की औषधियों का वर्णन इसमें है। परिवार में शान्ति किस प्रकार रह सकती है, उसके लिए भी दिव्य नुस्खे इसमें हैं। राष्ट्र और विश्व में शान्ति किस प्रकार रह सकती है, उन उपायों का वर्णन भी इसमें है।
Description
स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान और वेदों का महत्व
स्वामी दयानंद सरस्वती, एक प्रमुख धार्मिक नेता और विचारक, ने भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने वेदों के प्रति अपनी अग्रणी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वामी दयानंद का मानना था कि वेद ही सच्चे ज्ञान का प्रमाण हैं और इन्हें हर व्यक्ति के लिए सुलभ बनाना आवश्यक है। इसी उद्देश्य के तहत, उन्होंने वेदों का हिंदी में अनुवाद किया, जिससे आम जनमानस को वेदों की गहराई और ज्ञान को समझने में सहायता मिली।
वेद, जो कि प्राचीन भारतीय ज्ञान की निधि हैं, उन में सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक मूल्यों की परवाह की गई है। ये केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि मानवता के लिए जीवन जीने के सिद्धांत और नैतिकता का आधार भी हैं। स्वामी दयानंद ने वेदों के ज्ञान को सरल और संवेदनशील रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया, ताकि शिक्षा का प्रकाश हर किसी तक पहुँच सके। उनका यह कार्य आज भी प्रासंगिक बना हुआ है, क्योंकि आज भी लोग वेदों के ज्ञान से मार्गदर्शन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती का यह योगदान केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व का ही नहीं है, बल्कि यह समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। उनके दृष्टिकोण ने वेदों के अध्ययन में न केवल रुचि पैदा की, बल्कि उन्होंने व्यक्ति को ज्ञानार्जन की ओर प्रेरित भी किया। उनकी मेहनत के फलस्वरूप, वेदों के महत्व को समझने की प्रक्रिया सरल हुई है, जो आज भी विद्यमान है।
8 खंडों का सेट: संरचना और विशेषताएँ
स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा किए गए वेदों के अनुवाद का 8 खंडों का सेट एक अत्यंत महत्वपूर्ण शैक्षिक कार्य है। इस सेट में वेदों के चार प्रमुख अंगों: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का समावेश है। प्रत्येक खंड को इस संग्रह में विशेष ध्यान देकर तैयार किया गया है, ताकि पाठक वेदों के मूल सिद्धांतों और दर्शन को स्पष्टता से समझ सकें।
प्रत्येक खंड में एक स्वच्छ संरचना है, जिसमें पाठ्यांश, टीका, और महत्वपूर्ण विश्लेषण शामिल हैं। उदाहरण के लिए, ऋग्वेद खंड में सूक्तों का संग्रह और उनके अर्थों की व्याख्या दी गई है। यजुर्वेद खंड में यज्ञों और उनके अनुष्ठानों का विस्तार से वर्णन है, जबकि सामवेद में वेदों के संगीत और लय की जानकारी मिलती है। अंत में, अथर्ववेद खंड में विभिन्न उपासना विधियों और सामाजिक जीवन के पहलुओं पर जोर दिया गया है।
इस सेट की विशेषताओं में ध्यान देने योग्य है कि यह अनुवाद सरल और स्पष्ट भाषा में किया गया है, जिससे पाठकों के लिए इसे समझना सहज हो जाता है। इसके अलावा, स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने अनुवाद में केवल शाब्दिक अर्थों को नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक अर्थों को भी उजागर किया है। यह सेट न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास बल्कि सामाजिक जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डालने में सहायक है। पाठक इस सामग्री के माध्यम से वेदों का गहरा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जो उन्हें अपने जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
Additional information
Weight | 11000 g |
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Dimensions | 23 × 15 × 50 cm |
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