Complete Vedas [Sanskrit & Hindi] [Set of 9 Volumes] वेद [संस्कृत और हिंदी] [9 खंड का सेट]
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संसार के पुस्तकालय में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है”, इस बात को सभी पाश्चात्य विद्वानों ने स्वीकार किया है। भारत की धार्मिक परम्परा परम् चारों वेदों को परमात्मा का अनादि ज्ञान मानती है जो सृष्टि के आरम्भ में मानव जाति के हितार्थ ऋषियों के माध्यम से दिया गया था। ऋग्वेद का प्रकाश अग्नि ऋषि के हृदय में हुआ था।
ऋग्वेद की महिमा का वर्णन करते हुए मैक्समूलर ने कहा-जब तक पृथिवी पर पर्वत और नदियाँ रहेंगी तब तक संसार के मनुष्यों में ऋग्वेद की कीर्ति का प्रचार रहेगा।
ऋग्वेद विज्ञान वेद है। इस में तृण से लेकर ईश्वरपर्यन्त सब पदार्थों का विज्ञान भरा हुआ है। प्रकृति क्या है? जीव क्य है? जीव का उद्देश्य क्या है और उस लक्ष्य प्राप्ति के साधन क्या हैं? ईश्वर का स्वरूप क्या है? उसकी प्राप्ति क्यों आवश्यक है और वह किस प्रकार हो सकती है? इत्यादि सभी बातों का वर्णन ऋग्वेद में मिलेगा।
ऋग्वेद में दर्शन, तत्त्वज्ञान तथा आचार एवं नीति विषयक मन्त्रों का बाहुल्य है। ऋक् का अर्थ है-जिससे स्तुति की जाये। अतः स्तुतिपरक मन्त्रों का समुदाय ही ऋग्वेद है। ऋग्वेद के सूक्तों में प्रमुख रूप से श्रद्धा एवं भक्ति द्वारा स्वतन किया गया है इसलिए इसके विषय को प्रमुख रूप से धार्मिक तथा आध्यात्मिक कहा जा सकता है।
ऋग्वेद के दो ब्राह्मण हैं ‘ऐतरेय ‘और ‘कौषीतकी’। इसका उपवेद आयुर्वेद है।
महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद का भाष्य करना प्रारम्भ किया था, परन्तु वह पूर्ण न हो सका। स्वामी जी सातवें मण्डल के 61 वें सूक्त के दूसरे मन्त्र तक ही भाष्य कर पाये। आगे का भाष्य उन्हीं की शैली में अन्य वैदिक विद्वानों ने पूर्ण किया।
यजुर्वेद
यजुर्वेद का विषय केवल कर्मकाण्ड ही नहीं है, बल्कि इसमें वर्णित हैं अध्यात्म एवं दर्शन, सृष्टि-रचना तथा मोक्ष, नैतिक तथा आचारमूलक शिक्षाएँ, मनोविज्ञान, बुद्धिवाद, समाज-दर्शन, राष्ट्र-भावना, पर्यावरण का संरक्षण आदि। काव्य तत्व के अतिरिक्त यजुर्वेद में विद्यमान है, विश्वमानव की एकता जैसे उपयोगी विषय ।
सामवेद
सामवेद का यह भाष्य महर्षि दयानन्द की शैली, संस्कृत और आर्य भाषा-हिन्दी में उनकी विचारसरणी पर किया गया है।
सामवेद उपासना का वेद है। यह हृदय का वेद है। उपासना क्यों करें? किसकी उपासना करें? कहाँ करें? कैसे करें? इन सभी प्रश्नों का उत्तर सामवेद में मिलेगा। परमात्मा को ढूँढ़ने के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं हैं। वह तो हमारे हृदय-मन्दिर में ही विद्यमान् है।
अथर्ववेद
अथर्ववेद धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के साधनों की कुन्जी है। जीवन एक सतत् संग्राम है। अथर्ववेद जीवन-संग्राम में सफलता प्राप्त करने के उपाय बताता है।
अथर्ववेद युद्ध और शान्ति का वेद है। शरीर में शान्ति किस प्रकार रहे, उसके लिए नाना प्रकार की औषधियों का वर्णन इसमें है। परिवार में शान्ति किस प्रकार रह सकती है, उसके लिए भी दिव्य नुस्खे इसमें हैं। राष्ट्र और विश्व में शान्ति किस प्रकार रह सकती है, उन उपायों का वर्णन भी इसमें है।
Additional information
Weight | 11000 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 48 cm |
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