Gandharvaveda
Original price was: ₹500.00.₹450.00Current price is: ₹450.00.
उपवेद एक प्राचीन भारतीय साहित्यिक और धार्मिक पाठ का हिस्सा है। यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है और वेदों की प्राचीनतम रचनाओं में से एक माना जाता है। वेदों को छ: प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है, और उपवेद इन प्रमुख भागों का एक हिस्सा हैं।
उपवेदों की संख्या छ: है और इनमें यथावत् नामक उपवेद, शिक्षान्त उपवेद, काल्प उपवेद, निरुक्त उपवेद, छन्द उपवेद और ज्योतिष उपवेद शामिल हैं। प्रत्येक उपवेद अपनी विशेष विषय-क्षेत्र और ज्ञान के आधार पर अलग-अलग विषयों पर विचार करता है।
उपवेदों में ज्ञान के विभिन्न पहलुओं, धार्मिक आचारों, विधियों, मन्त्रों, राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन के विषयों, रस, यज्ञ और यज्ञ के नियमों, वृक्षों और प्राणियों के विषयों, तिथियों, नक्षत्रों और ज्योतिष के विषयों, छन्द के प्रकारों, वर्णमाला और व्याकरण के नियमों के बारे में विस्तृत ज्ञान मिलता है ।
गान्धर्ववेद को इतिहास, धनुर्वेद, आयुर्वेद की तरह उपवेद माना गया है। भारतीय संगीतशास्त्र के नियमित और अभ्यास आधारित पक्षों को इस उपवेद में संयोजित माना जाता है और यह गीतों के गायन का बुनियादी शास्त्र है जिसके लिए कहा गया है : धातुमातु समायुक्तं गीतमित्युच्यते बुधैः ।
तत्र नादात्मको धातुर्मातुरक्षर सञ्चयः ॥ इस उपवेद को व्यवहार और सिद्धान्त दोनों ही पक्षों में समानतः आदर प्राप्त है क्योंकि गीत को भी यन्त्रादि के वादन और मुख से गायन के रूप में दो प्रकार का माना गया है : गीतञ्च द्विविधं प्रोक्तं यन्त्रगात्रविभागतः । यन्त्रं स्याद्वेणुवीणादि गात्रन्तु मुखजं मतम् ।
यही नहीं, गीतों को दो अन्य प्रकार से भी परिभाषित किया गया है जो निबद्ध और अनिबद्ध होते हैं। इनमें अनिबद्ध प्रकार के गीत वे होते हैं जो वर्णादि नियम बिना होते हैं अथवा जो गमक, धातु के ज्ञाताओं द्वारा कृत होते हैं। दूसरे ताल, मान, रसांचित और छन्द, गमक, धातु, वर्णादि नियमों से कृत गीत निबद्ध माने जाते हैं। गान्धर्ववेद के विकासक्रम के अनेक सोपान भारतीय संस्कृत, प्राकृत सहित लोकभाषाओं के ग्रन्थों में परिलक्षित होते हैं।
अनेक पाण्डुलिपियों में भी संगीत और राग-रागिनियों, स्वर, अलंकार आदि के सम्बन्ध में जानकारियाँ मिलती हैं।
संगीत के तीनों ही पक्ष गान्धर्ववेद के आधार हैं : गीतं वाद्यं तथा नृत्यं तौर्यत्रिकमिदं मतम् । भारतविद्याविद् डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ की इस कृति में गान्धर्ववेद से सम्बद्ध अनेक युग- युगीन पक्षों का ससन्दर्भ प्रामाणिक उद्घाटन किया गया है
Additional information
Weight | 490 g |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 3 cm |
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.