Kautilya: Arthashastram Hardcover
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आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य कृत अर्थशास्त्र भारतीय संस्कृति का अप्रतिम विश्वकोश है। अनेक विदेशी विद्वानों ने इसकी विषय वस्तु की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। कामन्दक ने इसके महत्व को प्रतिपादित करते हुए और चाणक्य के प्रति प्रणम्य होते हुए लिखा है कि जिसने अति प्रतिग्रहशील प्रतिष्ठित कुल में ऋषियों के समान ख्यात वंश में जन्म लिया, जो पृथ्वी पर विख्यात है, जो अग्नि के समान तेजोमय है, जिसने एक वेद के समान ही ऋग, यजुः साम और अथर्व इन चारों वेदों का अध्ययन किया है, जो वज्र और अग्नि के समान दीप्तिमय है, जिसके वज्रप्रहार से सुपर्वा श्रीमान् नंदवंश रूप पर्वत समूल विनष्ट हो गया, जो पराक्रम में साक्षात् कार्तिकेय के समान हैं, जिसने अकेले ही मन्त्रशक्ति के प्रभाव से चन्द्रगुप्त को साम्राज्य दिया और जिसने महासमुद्र रूप अर्थशास्त्र से अमृत रूप नीतिशास्त्र का विदोहन किया है, उस विष्णुगुप्त को प्रणाम है। इस अर्थशास्त्र में तत्त्वार्थ और पदों का ही प्रयोग है तथा यह व्यर्थ के विस्तार से सर्वथा रहित है। सामान्य बुद्धि वाले बालक भी इस ग्रन्थ का अध्ययन कर नीतिनिष्ठ हो सकते हैं- सुखग्रहणविज्ञेयं तत्त्वार्थपद निश्चितम्। कौटिल्येन कृतं शास्त्रं विमुक्त ग्रन्थ विस्तरम् ॥
Additional information
Weight | 1000 g |
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Dimensions | 22 × 16 × 4.5 cm |
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