Kavya mimansa
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Description
संस्कृत साहित्यके लक्षण ग्रन्थोंमें काव्यमीमांसाका अप्रतिम स्थान है। इसमें चन्द्रालोक, काव्यप्रकाश और साहित्यदर्पण आदि प्राचीन ग्रन्थोंके समान अलङ्कार शास्त्रके प्रमेय शब्द, अर्थ, गुण, दोष, रस, अलङ्कार और ध्वनि आदि विषयोंका विवेचन न कर काव्यरचना के इच्छुक एवं व्युत्पित्सुजनौके लिए अतिशय उपयोगी अनेकानेक सूक्ष्म विषयोंका लक्षण और उदाहरणआदि का प्रदर्शन कर निरूपण किया गया है। इसके कर्ता राजशेखरका समय ई० दशम शताब्दीका पूर्व भाग माना गया है। काव्यमीमांसा में अठारह अध्याय हैं। इसमें प्रथम अध्यायमै साहित्यसम्प्रदाय के प्राचीन प्रवर्तकोंका उद्देश प्रदर्शित किया गया है। द्वितीयमै वाङ्मयके भेद, सूत्र आदिका लक्षण, साहित्यविद्याका लक्षण, शास्त्रोंका परिगणन और सूत्रवृत्ति और भाष्य आदिसे उनकी रचना निरूपित है। तृतीयमै सरम्वतीपुत्र काव्य पुरुष और पार्वतीपुत्री साहित्य- विद्यावधूकी उत्पत्ति एवं काव्यपुरुष और साहिस्यविद्यावधूके तत्तद्देश भ्रमणमें वृत्ति, प्रवृत्ति और रीतिका प्रादुर्भाव और विदर्भदेशामें काव्यपुरुष और साहित्यविद्यावधूका गान्धर्व विवाह वर्णित है। चतुर्थमें शिष्योंके बुद्धिमान् और आहार्यबुद्धि आदि भेद, प्रतिभाका लक्षण और भेद, कविके सारस्वत आदि तीन भेद और लक्षण भावकत्व और कवित्वका भेद और भावकत्व के चार भेद इत्यादि विवय वर्णित है। पञ्चममै व्युत्पत्ति और प्रतिभाका लक्षण, कषिके लक्षण, भेद और प्रभेद, पाकका विवेक, लक्षण और भेद वर्णित। हैं। षष्ठमें पदका विश्लेषण है। सप्तममें वाक्यभेद और काव्यकुका सविस्तर विवेचन है। अष्टममें श्रुत्ति और स्मृति आदि काव्याथोंके सोवह कारण और उनके उदाहरण वर्णित है।
Additional information
Weight | 144 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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