Maharishi Patanjali-Pranit Yoga Sutra • Maharishi Vyas Commentary
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“पतञ्जलि योगदर्शन” भारतीय दर्शन के षड्दर्शनों में से एक प्रमुख ग्रन्थ है। महर्षि पतञ्जलि द्वारा प्रणीत योगसूत्र संक्षिप्त किन्तु गूढ़ सूत्रों के माध्यम से योग का शास्त्रीय स्वरूप प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें केवल योगसूत्र ही नहीं, बल्कि उन पर प्राचीन और आधुनिक व्याख्याओं का संकलन भी है: महर्षि व्यास भाष्य – योगसूत्रों की सबसे प्रामाणिक और प्राचीन व्याख्या। राजर्षि भोजवृत्ति – सहज, काव्यमय और दार्शनिक विवेचन। महर्षि दयानन्द सरस्वती की व्याख्या – वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया गया सरल एवं स्पष्ट विवेचन। स्वामी विज्ञानाश्रम जी ने इन सबको एक साथ हिन्दी में प्रस्तुत कर दिया है, जिससे यह ग्रन्थ विद्वानों, शोधार्थियों और सामान्य पाठकों – सभी के लिए उपयोगी बन गया है। यह पुस्तक योग के आठ अंगों—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि—का स्पष्ट मार्गदर्शन करती है। साधना और आत्मविकास की दिशा में यह एक अमूल्य ग्रन्थ है। 👉 यह ग्रन्थ न केवल योग के दार्शनिक आधार को समझने में सहायक है, बल्कि जीवन में अनुशासन, संयम और आत्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
Additional information
| Weight | 1000 g |
|---|---|
| Dimensions | 25 × 19 × 3 cm |
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