Mahatma Anand Swami Jivan Charit
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Description
महात्मा आनन्द स्वामी
कुछ नाम ऐसे भी होते हैं जिनकी चर्चा दूसरों के ओठों पर होती है, किन्तु शहद अपने कानों में घुलने लगता है। ऐसा ही एक मीठा-सा नाम है ‘महात्मा आनन्द स्वामी’। जैसा नाम, वैसा व्यक्त्तित्व ! आनन्द की धाराएँ छलकाती रसीली आँखें, भरी-भरी सुडौल नासिका, चन्द्र-सी शीतलता वर्षाता प्रशस्त ललाट, पतले-पतले अधरों पर मनोहारी मुस्कान, मुखड़े पर ऐसा तेज-भरा सन्तोष कि देखते ही हाथ जुड़ जाएँ।
आनन्द स्वामी बड़े धनी संन्यासी थे। उनके पास आनन्द का दिव्य धन था और यह धन अक्षय और अपार था। दोनों हाथों से यह धन उन्होंने हर किसी को बाँटा, जीवन के अन्तिम क्षणों तक झोलियाँ भर-भरकर बाँटा। स्वयं को उन्होंने दूसरों की पीड़ाएँ पी जाने-वाला नीलकण्ठ बना लिया और अपना सुख-सन्तोष दूसरों को बाँटते रहे। वह इस काँटों-भरी दुनिया का महकता हुआ गुलाब थे जिसकी सुगन्धि भारत की सीमाओं के पारवर्ती देशों तक फैलती चली गई। बीसवीं शताब्दी के इस महान् सन्त का सबके लिए एक ही सन्देश रहा- ‘मुस्कराते रहो’।
उनका प्रवचन सुनने सिक्ख संगत भी अपनी भूख-प्यास भुला बैठती थी और मुस्लिम नर-नारी भी उन्हें अपना हितैषी मानते थे। वे सभी धर्मो का आदर करते थे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे।
आईए, आज उस मसीहा को याद करते हुए उनके वैदिक सन्देशों का स्मरण करते हुए, उनके पावन जीवन की झाँकी देखें।
Additional information
Weight | 217 g |
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Dimensions | 18 × 12 × 1 cm |
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