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Meri Drishti Mein Swami Dayanand Saraswati aur Unka Karya

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Description

संसार के श्रेष्ठ विचारकों से लेकर साधारण व्यक्तियों ने स्वामी दयानन्द सरस्वती को अपनी अपनी दृष्टि से देखा है, जो मुण्डे मुण्डे दृष्टिभिन्ना नियम के अनुसार स्वाभाविक है। कोई उन्हें परम वेदोद्धारक के रूप में देखते हैं तो अन्य समाज सुधारक के रूप में। कुछ व्यक्ति उन्हें स्वराज्य वा स्वदेश प्रेम को जागृत करने वाला अग्रदूत मानते हैं तो इतर उन्हें नारी जाति के उद्धारक एवं अछूतों के मसीहा के रूप में। उस समय भारत में ऐसे लोग भी थे जो वेदविरुद्ध मतों के खण्डन के कारण उन्हें देश जाति और धर्म का द्रोही मानते थे। कतिपय जन उन्हें ईसाइयों का एजेण्ट तक स्वीकार करते थे। अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति वा समुदाय अपने अपने विचारों के अनुसार स्वामी दयानन्द सरस्वती के व्यक्तित्व का बखान करते हैं।

मेरे विचार में कोई भी व्यक्ति स्वामी दयानन्द सरस्वती के उस समग्र व्यक्तित्व को नहीं देखता जो उनके अन्तराल एवं कार्यों में दूध में मक्खन के समान सर्वाङ्गरूप से व्याप्त है। उदाहरण के लिये हम स्वामी दयानन्द सरस्वतो के एक ऐसे कार्य की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं जिस ओर आर्यसमाज के किसी विद्वान् का ध्यान नहीं गया ।

भारत के स्वातन्त्र्योत्तर कृषि की उन्नति के लिये पाश्चात्य देशों के अनुकरण पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। परन्तु आज से १२० वर्ष पूर्व स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कृषि को उन्नति के लिये गोकृष्यादिरक्षिणी सभा की स्थापना की थी और उसके नियमोपनियम बनाये थे। जब दयानन्द के अनुयायियों का ध्यान भी इस ओर नहीं गया तो भला चौरों का कैसे जाता ? स्वामी दयानन्द सरस्वती गोरक्षा चौर कृषि रक्षा वा कृषि की उन्नति का चोली दामन सदृश घनिष्ठ संबन्ध

Additional information

Weight 300 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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