Nirukt Shastram
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Description
हजारों वर्ष पूर्व आचार्य यास्क द्वारा प्रोक्त वेदाङ्ग निरुक्त शास्त्र को मण्डित भगवद्दत्त रिसर्चस्कालर द्वारा रचित भाषा-भाष्य के साथ रामलाल कपूर ने संवत् २०२१ में प्रकाशित किया था। पं० भगवद्दत्त जी आर्य समाज के प्रख्यात विद्वान्, वैदिक वाङ्मय, प्राचीन भारतीय साहित्य-इतिहास एवं संस्कृति केन्ज थे। इस भाष्य के लेखन तथा सम्पादन में पं० भगवद्दत्त जी को पं० सुधिष्टिर जी मीमांसक का सहयोग प्राप्त हुआ था। ट्रस्ट उक्त दोनों ही विद्वानों के प्रति ऋणी रहेगा।
यह भाष्य भारतीय दृष्टि से आचार्य यास्क के दृष्टिकोण को यथार्थ रूप में प्रकट करता है। विद्वद्वर पण्डित भगवद्दत्त जी ने प्रसङ्गतः ईसाई-यहूदी गुट को दुरभिसन्धियों और उनके अनुयायी भारतीय विद्वानों के मिथ्या कथनों का किस्म किया है। वैदिक शोध में लगे विद्वानों और वेदाङ्ग के अध्येता छात्रों को इन भाष्य के पढ़ने से अनुपम लाभ होगा।
विगत दो दशकों से यह अनुपम ग्रन्थ दुर्लभ था। बहुत प्रयत्न करने पर को नाधनों के अभाव में इस अनुपम ग्रन्थ का प्रकाशन सम्भव नहीं हो सका। छात्र और वैदिक वाङ्मय का अनुशीलन करने वाले सज्जनों की ओर अन्य की मांग सुदीर्घ काल से हो रही थी। प्रभु की कृपा से अब ट्रस्ट अन्य के प्रकाशन में समर्थ हो सका है। आशा है, वैदिक वाङ्मय के स्वाध्याय-प्रेमी इससे यथोचित लाभ प्राप्त करेंगे।
Additional information
Weight | 999 g |
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Dimensions | 22 × 14 × 5 cm |
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