निरुक्तम् (निघण्टुभाष्यम्) | Niruktam (Nighantu-Bhashya)
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यह ग्रंथ निघण्टु — वैदिक शब्द-सूची — पर आधारित एक प्रामाणिक टीका व भाष्य है।
वेद में प्रयुक्त दुर्लभ, प्राचीन एवं गूढ़ शब्दों का अर्थ, व्युत्पत्ति, प्रसंग तथा वैदिक प्रयोग को सुव्यवस्थित रूप में समझाया गया है।
वेदाध्ययन, वैदिक अनुष्ठानों, मंत्रार्थ विवेचन और शब्दज्ञान के लिए यह कृति अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
English :
A scholarly commentary on the Nighantu, the oldest Vedic glossary of rare and essential terms.
It provides word interpretation, etymology, contextual application, and Vedic references, making it indispensable for advanced Vedic studies and mantra analysis.
A crucial resource for Sanskrit learners, researchers, and Vedic practitioners.
Description
निरुक्तम क्या है?
निरुक्तम, जिसे निघंटु भाष्य के नाम से भी जाना जाता है, संस्कृत साहित्य के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक महत्वपूर्ण पाठ है जो विभिन्न शब्दों की व्युत्पत्ति और अर्थों को समझने में सहायता करता है। हिंदी के संदर्भ में, निरुक्तम उन भाषाई पेचीदगियों के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान करता है जो दोनों भाषाओं को जोड़ती हैं।
निरुक्तम का महत्व
निरुक्तम के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। विद्वान और छात्र समान रूप से भाषा के भीतर निहित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के लिए इस कार्य पर भरोसा करते हैं। यह संस्कृत और हिंदी के बीच गहरे संबंधों के लिए गहरी समझ को बढ़ावा देता है।
भाषा सीखने में निरुक्तम का अनुप्रयोग
भाषा अध्ययन में लगे लोगों के लिए, निरुक्तम को अपनी सीखने की यात्रा में शामिल करने से शब्दावली और समझ बढ़ सकती है। इसका विस्तृत विश्लेषण शिक्षार्थियों को भाषाई संरचनाओं और शब्दार्थ में एक मजबूत आधार प्रदान करता है, जिससे संस्कृत के लेंस के माध्यम से हिंदी की उनकी समग्र समझ समृद्ध होती है।
Additional information
| Weight | 366 g |
|---|---|
| Dimensions | 18 × 12 × 3 cm |
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